Thursday 14 April 2016

कुछ गुस्ताखियाँ कर लूँ..

तमन्नाओं को ज़िंदा, आरज़ुओं को जवाँ कर लूँ,

ये शर्मीली नज़र  कह दे तो कुछ गुस्ताखियाँ कर लूँ..

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