Saturday 30 April 2016

अरे मैडम, डर तो..

सन्नी लिउनी :  मेरी अगली फिल्म horror है

अरे मैडम, डर तो आपकी पहली फिल्मों में भी लगता था... कहीं पिछे से मम्मी पापा ना आ जाए **
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Thursday 28 April 2016

ज़माना रिश्वत का..

है पैसे का ज़ोर, ज़माना रिश्वत का
है चर्चा चरों ओर,  ज़माना रिश्वत का

कोतवाल को आकर खुद ही थाने में
डांटे उलटा चोर, ज़माना रिश्वत का

कटी व्यवस्था की पतंग जिन हाथों से
उन हाथों में डोर, ज़माना रिश्वत का

बोले भी तो कैसे वो सच की भाषा
है दिल से कमज़ोर, ज़माना रिश्वत का

जैसे भी हो, अब तो घर में दौलत की
हो वर्षा घनघोर, ज़माना रिश्वत का

समझदार अधिकारी बोल बाबू से
दोनों हाथ बटोर, ज़माना रिश्वत का..


Wednesday 27 April 2016

खामोशियों से न..

खामोशियों से न मुझको सजा दो

दिल की बातों को हौले से बता दो..

ऐ कब्र तक पहुँचाने..

शुक्रिया ऐ कब्र तक पहुँचाने वालों शुक्रिया

अब अकेले ही चले जायेंगे इस मंजिल से हम..

रहेगा याद ये..

रहेगा याद ये दौर-ए-हयात भी हमको

के ज़िन्दगी में तरसते हैं ज़िन्दगी के लिए..

छुप गया आफ़ताब..

छुप गया आफ़ताब शाम हुई

इक मुसाफिर की रूह तमाम हुई..

Tuesday 26 April 2016

रोज़ की मुश्किलों से..

रोज़ की मुश्किलों से लड़ना ही तो ज़िन्दगी है

ख़ुदकुशी से कब यहाँ कोई निकलता है नतीजा।।

कभी कभी सोंचता हूँ के..

कभी कभी सोंचता हूँ के 
मुस्कराहट कहाँ से आती है

फिर अचानक उसका खयाल आता है
और मुस्कराहट भागी चली आती है..

आज एक दुश्मन ने..

आज एक दुश्मन ने गले लग के कहा

यार...

इतना मत मुस्कुराया कर बहुत जलन होती है..

उस के होंठों से..

उस के होंठों से इक चीज़ लाजवाब पीता हूँ

मैं हूँ तो ग़रीब पर सब से महंगी शराब पीता हूँ..

लोग आँखों में..

तुम समुंदर की बात  करते हो

लोग आँखों में डूब जाते हैं..

रात्र झाली तरीही..

रात्र झाली तरीही
डोळे मिटून जागा राहतो

तुला घेऊन येणाऱ्या
स्वप्नांची वाट पाहतो..

तुलाही मी दिसतो का..?

डोळे मिटले की तू दिसतेस
डोळे उघडले की हे जग

तुलाही मी दिसतो का
जरा डोळे मिटून बघ..

बेचैन इस क़दर था..

बेचैन इस क़दर था, सोया न रात भर

पलकों से लिख रहा था, तेरा नाम चाँद पर..

उसके जाने का..

आसमान के तारे अक्सर पूछा करते हैं
क्या तुम्हे अब भी इंतज़ार हैं उसके लौट आने का?

और दिल मुस्कुरा के कहता है
मुझे तो अब भी यकीन नहीं उसके जाने का..

Monday 25 April 2016

खुश थे मगर..

रात का अँधेरा कुछ कहना चाहता है
ये चाँद चांदनी के साथ रहना चाहता है

हम तनहा ही खुश थे मगर
पता नहीं क्यों अब ये दिल किसी के साथ रहना चाहता है..

तेरे पास भूल जाऊँ..

कभी लफ्ज़ भूल जाऊँ, कभी बात भूल जाऊँ
तुझे इस क़दर चाहूँ के अपनी ज़ात भूल जाऊँ

उठ के तेरे पास से जो मैं चल दूँ
जाते हुए खुद को तेरे पास भूल जाऊँ।।

तु ज़माने में..

तु मुझे अपना बना या ना बना तेरी ख़ुशी

तु ज़माने में मेरे नाम से बदनाम तो है..

आँखें गरीब की..

आंसू बहा बहा के भी होते नहीं हैं कम

कितनी अमीर होती हैं आँखें गरीब की..

गिरा जो उनके होंठों पे..

गिरा जो उनके होंठों पे बारिश का इक क़तरा

हमने रहमत समझ कर उनके होंठों को चूम लिया।।

Sunday 24 April 2016

साथ रहते-रहते..

साथ रहते-रहते यूँही वक़्त गुज़र जायेगा
दूर होने के बाद कौन किसे याद आएगा

जी लो ये पल जब हम साथ हैं
कल का क्या पता, वक़्त कहाँ ले जाएगा।।

बचपन से ही..

बचपन से ही शौक था अच्छा इंसान बनने का,

बचपन खतम , शौक खतम....

वो दिल ही क्या..

वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे ,

मैं तुझको भूल के ज़िंदा रहूँ खुदा न करे..

ऐ दीवाने सो जा..

ऐ दीवाने सो जा तेरी शायरी पढ़नेवाली अब,

किसी और शायर की ग़ज़ल बन गई है..

सब भूल चूका हूँ..

दुनिया से मुझे प्यार था सब भूल चूका हूँ
इक शख्स मेरा यार था सब भूल चूका हूँ

बख्शी है मुझे प्यार के बदले में जुदाई
जो भी तेरा क़िरदार था सब भूल चूका हूँ

बस इतना मुझे याद है इक वस्ल की शब थी
इक़रार था, इनकार था सब भूल चूका हूँ

हाँ मेरी ख़ता थी के तुझे टूट के चाहा
हाँ मैं ही गुनहगार था सब भूल चूका हूँ

इक शख्स ने पागल सा बना रखा था मोहसिन
मैं कितना समझदार था सब भूल चूका हूँ..


हाथ का कंगन..

कुछ नहीं तो यही बे-नाम सा बंधन होता


काश.! मैं तेरे हसीन हाथ का कंगन होता।।

मुझे घायल कर दो..

अपने एहसास से छू कर मुझे संदल कर दो
मैं कई सदियों से अधूरा हूँ मुकम्मल आकर दो

न तुम्हें होश रहे और न मुझे होश रहे
इस क़दर टूट के चाहो के मुझे पागल कर दो

तुम हथेली को मेरे प्यार की मेहंदी से रंगो
अपनी आँखों में मेरे नाम का काजल कर दो

धूप ही धूप हूँ मैं टूट के बरसो मुझ पर
मैं तो सेहरा हूँ मुझे प्यार का बादल कर दो

इस के साये में मेरे ख्वाब महक उठेंगे
मेरे चेहरे पे उम्मीदों भरा आँचल कर दो

अपने होंठों से कोई मोहर लगाओ मुझ पर
इक नज़र प्यार से देखो मुझे घायल कर दो..

सारी दुनिया के हैं वो..

सारी दुनिया के हैं वो मेरे सिवा

मैं ने दुनिया छोड़ दी जिन के लिए..

वो बे-ख़ुदी के ज़माने..

दिन रात मय-कदे में गुज़रती थी ज़िन्दगी

' मोहसिन' वो बे-ख़ुदी के ज़माने किधर गए..

मला तुझं असणं..

मला तुझं हसणं हवं आहे
मला तुझं रुसणं हवं आहे

तू जवळ नसतानाही
मला तुझं असणं हवं आहे.

हळुवार जपून ठेवलेले क्षण..

हळुवार जपून ठेवलेले क्षण
तेच माझ्या जगण्याची आस आहे

एकेक साठवून ठेवलेली आठवण
तीच माझ्यासाठी खास आहे.

आपल्या आयुष्यात प्रेम येतं..

दाटून आलेल्या संध्याकाळी
अवचित ऊन पडतं

तसंच काहीसं पाऊल न वाजवता
आपल्या आयुष्यात प्रेम येतं..

क्या बच गया है फिर..

पहना रहे हो क्यों मुझे, तुम कांच का लिबास

क्या बच गया है फिर कोई पत्थर तुम्हारे पास..

तुम आँखों की बरसात..

तुम आँखों की बरसात बचाए हुए रखना

कुछ लोग अभी आग लगाना नहीं भूले।।

जब आई शाम..

कोई इशारा, दिलासा न कोई वादा मगर

जब आई शाम तेरा इंतज़ार करने लगे..

हो चले तारीफ के..

हो चले तारीफ के, वो भी दीवाने

आईने से बात, करना आ गया है..

कोई किसी का नहीं..

कसमे, वादें, प्यार, वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या

कोई किसी का नहीं, ये झूठे नाते हैं नातों का क्या।।
सर्फ एक्सेल वाले कहते हैं "दाग अच्छे हैं"
जब दाग इतने ही अच्छे हैं
तो फिर ये भी बता दीजिए
कि इन्हें धोने की क्या ज़रुरत?

यहाँ तो लोग..

कौन मेरी चाहत का फ़साना समझेगा इस दौर में

ऐ दिल

यहाँ तो लोग अपनी ज़रुरत को मोहब्बत कहते हैं..

और बताओ..

प्यारा सा चेहरा, मीठी सी आवाज
मासूम सा दिल, स्वीट सी मुस्कान

परफेक्ट पर्सनालिटी, खुशमिजाज़ अंदाज
ये तो हुई मेरी बात...और बताओ कैसे हो आप.?

लोग "इंजीनियर साहब" कह..

ज़िन्दगी दिन-ब-दिन मजदूर हुई जा रही है

और लोग "इंजीनियर साहब" कह के ताने दिए जा रहे हैं.

यहाँ लिबास की क़ीमत है..

यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं

मुझे गिलास बड़े दे, शराब काम कर दे.!

मला तुझ्यात..

असेन तुझा अपराधी
फक्त एकच सजा कर

मला तुझ्यात सामावून घे
बाकी सर्व वजा कर..

तुझ्यात हरवलेला मी..

तुझ्यापासून सुरु होऊन
तुझ्यातच संपलेला मी

माझे मीपण हरवून
तुझ्यात हरवलेला मी..

इस नहीं का..

इस नहीं का कोई इलाज नहीं

रोज़ कहते हैं आप आज नहीं।।

आता है याद मुझको..

आता है याद मुझको गुज़रा हुआ ज़माना
वो बाग़ की बहारें, वो सब का चह-चहाना


आज़ादियाँ कहाँ वो, अब अपने घोंसले की
अपनी ख़ुशी से आना अपनी ख़ुशी से जाना

लगती हो चोंट दिल पर, आता है याद जिस दम
शबनम के आंसुओं पर कलियों का मुस्कुराना

वो प्यारी-प्यारी सूरत, वो कामिनी-सी मूरत
आबाद जिस के दम से था मेरा आशियाना।।

आँखों की चिलमन में..

आँखों की चिलमन में हैं अदायें हज़ार

वो इंसान ही क्या जिसे हुआ ना कभी प्यार।।

क्या हुस्न था के..

क्या हुस्न था के आँख से देखा हज़ार बार

फिर भी नज़र को हसरत-ए-दीदार रह गई..

रुखसार पे तील का..

अब मैं समझा तेरे रुखसार पे तील का मतलब

दौलत-ए-हुस्न पर दरबान बिठा रखा है..

नशा तेरी आँखों..

महकता हुआ जिस्म तेरा गुलाब जैसा है
नींद के सफर में तु ख्वाब जैसा है

दो घूँट पि लेने दे आँखों की मस्तियाँ
नशा तेरी आँखों का शराब जैसा है..

Saturday 23 April 2016

इश्क़ के फूल खिलते हैं..

इश्क़ के फूल खिलते हैं तेरी ख़ूबसूरत आँखों में

जहाँ देखे तू इक नज़र वहां खुशबू बिखर जाये।।

पहला सा वो जूनून..

पहला सा वो जूनून,
वो मोहब्बत नहीं रही,

कुछ-कुछ संभल गए हैं,
उनकी दुआ से हम..

तेरे बगैर..

आज कुछ कमी है तेरे बगैर
ना रंग हैं ना रौशनी है तेरे बगैर

वक़्त अपनी रफ़्तार से चल रहा है
बस धड़कन सी थमी है तेरे बगैर।।

उसके होंठों को..

उसके होंठों को चूमा तो ये एहसास हुआ

एक पानी ही ज़रूरी नहीं प्यास भुझाने के लिए..

जाम लबों से..

वो पिला कर जाम लबों से अपनी मोहब्बत का मोहसिन

अब कहते हैं कि नशे की आदत अच्छी नहीं होती।।

Friday 22 April 2016

तु न आया तो कोई..

रात दहलीज़ पर बैठी रही आँखें मेरी

तु न आया तो कोई ख्वाब ही भेजा होता।।

चंद्राच्या रुपात मला..

चंद्राच्या रुपात मला
तुझं मनमोहक रूप दिसावं

माझं मन त्यात मग
तुकडा तुकडा फसावं.

दोस्तों को आज़मा कर देखिये।।

दुशमनों से क्या गरज दुश्मन हैं  वो

दोस्तों को आज़मा कर देखिये।।

ऐसा नहीं कि उनसे..

ऐसा नहीं कि उनसे मोहब्बत नहीं रही

जज्बात में वो पहली सी शिद्दत नहीं रही..

अंजाम कुछ भी हो..

दिल की ख्वाहिश बस इतनी सी है
तुमसे मुलाकात हो, अंजाम कुछ भी हो.. 

नक़ाब कहती है..

 नक़ाब कहती है मैं पर्दा-ए-क़यामत हूँ 

अगर यकीन न हो तो देख लो उठा के मुझे।।

वो जब लेते हैं अंगड़ाई.

इलाही क्या इलाक़ा है वो जब लेते हैं अंगड़ाई

मेरे ज़ख्मों के सब टांके अचानक टूट जाते हैं..

उसने जो आवाज़

मुद्दत के बाद उसने जो आवाज़ दी मुझे

कदमों की क्या बात थी, साँस भी रुक गई.!

तुम्हारी आँखों में..

इस क़दर कशिश है तुम्हारी आँखों में

अगर हम तुम होते, तो खुद से ईश्क़ कर लेते।।

रफ्ता-रफ्ता ..

रफ्ता-रफ्ता भुझ गया चिराग-ए-आरज़ू

पहले दिल, फिर दुनिया और अब
दोस्त भी खामोश रहने लगे हैं..!

उसे कोई और भी..

उसे कोई और भी चाहे इस बात से हम जलते नहीं

ग़ुरूर है हमें इस बात का के सब हमारी पसंद पर मरते हैं..

काय माहिती मला पण प्रेम झाले असावे..

काय माहिती मला पण प्रेम झाले असावे
उठता बसता मुखी तुझेच नाव असावे

तुझ्या येण्याने मन माझे बहरून यावे
तुझ्या जाण्याने मन माझे कासावीस व्हावे
प्रत्येक चेहऱ्यात, तुझ्याच चेहऱ्याला शोधावे
काय माहिती मला पण प्रेम झाले असावे

हळव्या माझ्या हृदयात सदा तुलाच जपावे
आसवांना तुझ्या, स्मित हसण्यात विनावे
तुझ्या विनोदांवर लोटपोट होऊन हसावे
रुसवे फुगवे तुझे एका क्षणात संपवावे
काय माहिती मला पण प्रेम झाले असावे

दु:खाला तुझ्या स्वत:चे दु:ख अनुभवावे
सुखात तुझ्यासह सारे विसरून जगावे
भिरभिरत्या डोळ्यांत पार बुडून जावे
तुझ्या ओल्या केसांत चिंब भिजून निघावे
काय माहिती मला पण प्रेम झाले असावे..



जो तुला स्वप्नातुनी पाहत होतो..

मी तोच, मी तोच
जो तुला स्वप्नातुनी पाहत होतो.
नकळतच तुजला मनोमनी चाहत होतो.

मी कसा पुरताच भुललो होतो तुला.
मी कसा आपसूक विरलो होतो तुला.

पुरता दिवाना मी, परी तुजला ना ठाव होते.
विसरलोच होतो, कोण मी अन काय माझे गाव होते.

सांगावयास तुजला, प्रयत्नांची मी शिकस्त केली.
पण तू माझी, हर अर्जी बरखास्त केली.

कसे समजावू तुला, हे मोठे कोडेच होते.
मला तुजवर नेन्हारे, मार्ग थोडेच होते.

कवितेतुनी लिहावे, दुसरे आता उरलेच नाही
वर्णावे तुजला, परी शब्द मला पुरलेच नाही..

मैं शराबी हूँ..

झूम के गाओ! मैं शराबी हूँ
रक्स फरमाओ! मैं शराबी हूँ

एक सज्दा! ब-नाम-ए-मय-खाना
दोस्तों आओ! मैं शराबी हूँ

लोग कहते हैं रात बीत चुकी
मुझको समझाओ! मैं शराबी हूँ

आज इन रेशमी घटाओं को
यूँ न बिखराओ! मैं शराबी हूँ

हादसे रोज़ होते रहते हैं
भूल भी जाओ! मैं शराबी हूँ

मुझ पे जाहिर है आप का बातिन
मुँह न खुलवाओ! मैं शराबी हूँ..


वक़्त नाज़ुक है..

जाम टकराओ! वक़्त नाज़ुक है
रंग छलकाओ! वक़्त नाज़ुक है

हसरतों की हसीन कब्रों पर
फूल बरसाओ! वक़्त नाज़ुक है

इक फ़रेब और ज़िन्दगी के लिए
हाथ फैलाओ! वक़्त नाज़ुक है

रंग उड़ने लगा है फूलों का
अब तो आ जाओ! वक़्त नाज़ुक है

तिश्नगी तिश्नगी! अरे तौबा
ज़ुल्फ़ लहराओ! वक़्त नाज़ुक है..

बर्फ पिघली तो रास्ता निकला..

बर्फ पिघली तो रास्ता निकला
फिर से मिलने का सिलसिला निकला

फिर वो लौट आई ज़िन्दगी की तरफ
मेरे होंठों से शुक्रिया निकला

तुझसे कहना था हाल-ए-दिल लेकिन
तु भी ऐ दोस्त आइना निकला।।

बहल तो जायेगा..

बहल तो जायेगा उसके वादों से मेरा दिल लेकिन

चलेंगी पानी में कागज़ की कश्तियाँ कब तक..

पस लौट कर नहीं आते..

मुँह से निकली बात, कमान से निकला तीर
और
मोहब्बत में कराये गये Recharge के पैसे, कभी वापस लौट कर नहीं आते।

पति:पत्नी

पत्नी: कोई नया शेर सुनाओ?
पति: संगमरमर से तराशा, खुदा ने तेरे बदन को..
पत्नी (ख़ुशी से): आगे?
पति: बाकी बचा पत्थर उसने तेरी अक्ल पे रख दिया

एक उम्मीद थी जो..

याद करने से क्या कोई आये भला

एक उम्मीद थी जो ज़रा सी रही..

बूढ़ी आँखों ने देखा था..

बूढ़ी आँखों ने देखा था सपना ये कि हो कामयाब तु

लेकिन धिक्कार है आज तुझपे ही जो छोड़ चला अपने माँ-बाप तु..

दोनों ही दर्द देते हैं..

एक सबक़ हमने भी सीख लिया आखिर

वो और उसकी यादें दोनों ही दर्द देते हैं..

फूल जब उसने..

फूल जब उसने छू लिया होगा

होश तो खुशबू के भी  उड़ गए होंगे।।

चेहरा नक़ाब में..

खुद न छुपा सके वो अपना चेहरा नक़ाब में

बेवजह हमारी आँखों इल्जाम लग गया....

कुछ देर तो ठहर..

आये हो आँखों में तो कुछ देर तो ठहर जाओ

इक उम्र लग जाती इक ख्वाब सजाने में..

मुझे तो आज पता चला..

मुझे तो आज पता चला कि मैं किस क़दर तनहा हूँ मैं

पीछे जब भी मुड़कर देखता हूँ तो मेरा साया भी मुँह फेर लेता है..

Thursday 21 April 2016

डॉक्ट: कितनी देर खेलते हो?

डॉक्ट: अच्छे स्वास्थ्य  लिए रोज़ाना व्यायाम किया करो

संता: जी मैं रोज़ाना क्रिकेट और फुटबॉल खेलता हूँ

डॉक्ट: कितनी देर खेलते हो?

संता: जब तक मोबाइल की बैटरी ख़तम नहीं हो जाती।।

उलझे हैं तेरे

उलझे हैं तेरे खयालों में ऐसे

अफ्रीकन बच्चे के बाल हो जैसे।।

एक चादर में लिपटे दो बदन, एक तेरा हो एक मेरा हो..

तेरी चांदनी में नहाऊं मैं और हर तरफ अँधेरा हो
एक चादर में लिपटे दो बदन, एक तेरा हो एक मेरा हो

तेरे मखमली बदन में, खुशबुओं के चमन में
सदियों तक वो रात चले, सदियों दूर सवेरा हो
एक चादर में लिपटे दो बदन, एक तेरा हो एक मेरा हो

तेरे होंटों को जब सील दूँ मैं, अपने होंठों के धागे से
एक सन्नाटे में ख़ामोशी से, तेरी बाहों ने मुझको घेरा हो
एक चादर में लिपटे दो बदन, एक तेरा हो एक मेरा हो

दोनों लिपटे एक-दुजे में, एक गाँठ सी लग जाये बदनों में
मेरे जिस्म में घर मिल जाये तुझे, तेरे जिस्म में मेरा बसेरा हो
एक चादर में लिपटे दो बदन, एक तेरा हो एक मेरा हो

मोहसिन कहता है कुछ ऐसा हो, तु बन जाये मैं, मैं बन जाऊं तु
बिस्तर पर तेरे मेरे सिवा, सिर्फ जुनून और ख़ामोशी का डेरा हो
एक चादर में लिपटे दो बदन, एक तेरा हो एक मेरा हो..

मैं जानता हूँ कि..

मैं जानता हूँ कि कैसे बदल जाते हैं इंसान अक्सर

मैंने कई बार अपने अंदर किसी और को देखा है..

गोडवे तुझ्या प्रेमाचे..

गोडवे तुझ्या प्रेमाचे हा वारा आत्ता सांगत होता

नकळत तुझ्या आठवणींचे अनेक धागे तो गुंफत होता.

गुलाब तो टूट कर बिखर जाता है..

गुलाब तो टूट कर बिखर जाता है
पर खुशबू हवा में बरक़रार रहती है

जाने वाले तो छोड़ कर चले जाते हैं
पर एहसास तो दिलों में बरकरार रहता है..

ज़माने को खलता है..

मेरा यही अंदाज़ इस ज़माने को खलता है,

इतनी ठोकरों के बाद भी ये सीधा कैसे चलता है..

तुम्हें गैरों से कब..

तुम्हें गैरों से कब फुरसत हम अपने गम से कब खाली

चलो बस हो चूका मिलना ना तुम खाली, ना हम खाली।।

आँख देखे बिना नहीं रहती..

आँख देखे बिना नहीं रहती

होंठ तो खैर सी लिए हमने।।

वाट अर्धी चाललीस का..?

साथ तुझी देईन म्हणून
सोबत येईन बोललीस का

अगं घ्यायचीच होती माघार तर
वाट अर्धी चाललीस का..?

तुला मनात साठवून ठेवायचे आहे...

तुझा तो हातात हात
फुलांच्या थव्यातील अरुंद वाट
क्षण हे पुन्हा जगायचे आहे
तुला मनात साठवून ठेवायचे आहे

तुझी ती गालावरची खळी
जणू गुलाबाची नाजूक कळी
डोळे भरून पुन्हा पहायचे आहे
तुला मनात साठवून ठेवायचे आहे

गालावर रुळणाऱ्या तुझ्या बटा
जणू नभातील ढगांच्या छटा
पुन्हा एकदा त्या सावरायच्या आहेत
तुला मनात साठवून ठेवायचे आहे...

इक तो हुस्न बला का..

राह न देखेंगे ये दुनिया से गुजरने वाले
हम तो बस चाहते हैं ठहर जाएँ ठहरने वाले

इक तो हुस्न बला का और उसपे बनावट आफत
घर तो बिगाड़ेंगे हज़ारों के सँवरने वाले।।

सोंचते हैं तुम्हे..

उम्र की राह में रास्ते बदल जाते हैं
वक़्त की आंधी में इंसान बदल जाते हैं

सोंचते हैं तुम्हे इतना याद ना करें
लेकिन आँख बंद करते ही इरादे बदल जाते हैं..

Wednesday 20 April 2016

चाँद चेहरा, ज़ुल्फ़ दरिया...

चाँद चेहरा, ज़ुल्फ़ दरिया
बात खुशबू , दिल चमन

यूँ तुम्हें देकर खुदा ने
क्या-क्या दिया मुझे।।

लम्हे लम्हे में..

लम्हे लम्हे में बसी है तेरी यादों की महक

ये और बात है के नज़रों से दूर हो तुम...

क़ातिल नहीं मिलता।।

जान जब प्यारी थी तब दुश्मन हज़ारों थे,

अब मरने का शौक़  क़ातिल नहीं मिलता।।

साफ-साफ क्यों नहीं..

रोज़ देता है वो उड़ते हुए परिंदों की मिसाल

साफ-साफ क्यों नहीं कहता के मेरा शहर छोड़ जाओ..

शाम तक सुबह की..

शाम तक सुबह की नज़रों से उतर जाते हैं

इतने समझौतों पर जीते हैं कि मर जाते हैं..

Khwahish..

Kuch Khwahishon ka Adhura Rah Jana thik hai,

Zindagi jeene ki khwahish bani rehti hai..

Tum gaye to..

Tum Gaye to kabhi sehar na Hui,

Raat hi aai Roz, Raat ke baad..

तुझ्या कुशीत माझा..

तुझ्या कुशीत माझा पाषाण मोम झाला
डोळ्यात साठलेला ऋतुगंध सैल झाला

जवळी आलीस तेव्हा श्वासात कैफ आला
अन मोगरा सुगंधी लाजून धुंद झाला

अंती, गंध सारे गुलाबी ओठांवरती पहुडले
क्षण, अंगावरी बहरता जास्वंद मंद झाला

तुझ्या कुशीत माझा पाषाण मोम झाला
डोळ्यात साठलेला ऋतुगंध सैल झाला...

तो स्पर्श सांग तुजला सांगून काय गेला..

तो स्पर्श सांग तुजला सांगून काय गेला
गालावरी तुझ्या का खुलवून लाज गेला

होता जरा शहारा, वेडा खुळा बहाना
ओठावरी तुझ्या का, चढवून साज गेला

संगीत शांत केले, अंधार गात गेला
बेहोश रम्य राती उधळून श्वास गेला

भिजवून अंग सारे, विझवून शब्द सारे
रंगत आज तुजला, रंगून भास गेला

तो स्पर्श सांग तुजला सांगून काय गेला
गालावरी तुझ्या का खुलवून लाज गेला..

ऐ मुक़द्दर मुझे..

ऐ मुक़द्दर मुझे तरसायेगा कब तक

या मेरी बात समझ जा, या मुझे पागल कर दे..

इस जहाँ में मजदूर सा दर-बदर कोई नहीं..

इस जहाँ में मजदूर सा दर-बदर कोई नहीं

जिसने बनाये सब के घर उसका घर कोई नहीं।।

हर दिल में दर्द छुपा होता है..

हर दिल में दर्द छुपा होता है,
बयाँ करने का अंदाज़ जुदा होता है,

कोई अश्कों से बहा देता है और,
किसी की हँसी में भी दर्द छुपा होता है..

होता अगर मुमकिन..

होता अगर मुमकिन, तुझे साँस बनाकर रखते सीने में

तु रुक जाये तो मैं नहीं, मैं मर जाऊं तो तु नहीं।।

जब भी तुम..

नींद में भी गिरते हैं मेरी आँख से आँसू

जब भी तुम ख्वाबों में मेरा हाथ छोड़ देती हो..

Tuesday 19 April 2016

सांग ना गं प्रिये प्रेम काय असते..?

याच्याशिवाय अजून वेगळे काय असते
सांग ना गं प्रिये प्रेम काय असते

रोज-रोज तुझी आठवण येते
रोज तुला भेटावेसे वाटते

जेंव्हा-जेंव्हा आपली गाठ-भेट होते
बोलताना तुझ्याशी भान हरवून जाते

हातात देतेस हात जेंव्हा तू प्रेमाने
विसरून जातो मो जग सारे आनंदाने

याच्याशिवाय अजून वेगळे काय असते
सांग ना गं प्रिये प्रेम काय असते..

देहभान माझे हरवून जातो..

नकळत समोरून तू जाता
देहभान माझे हरवून जातो

रात्रभर ठरवतो बोलावे तुझ्या संगे,
बोलावे काय हेच विसरून जातो..

शेवट त्याचा एकच उरतो..

प्रत्येक मनुष्य वाटसरू आहे
तो चालतो वाट कर्तव्याची

शेवट त्याचा एकच उरतो
चर्चा वाईट-चांगल्या स्वभावाची..

अजूनही आठवतो मला..

अजूनही आठवतो मला
आपला तो पावसातला क्षण

एकाच छत्रीत जाताना
वेड्यासारखे पाहत होते आपल्याकडे कित्येक जन. 

तुझ्यावरच प्रेम काही संपत नाही..

झाल्या नऊ-दहा कविता तरी,
तुझ्यासाठी शब्द काही संपत नाही,

फक्त कागदावारतीच राहिलंय तरी,
तुझ्यावरच प्रेम काही संपत नाही..

महसूस ये हुआ..

जैसे मेरी निगाह ने देखा ना हो कभी

महसूस ये हुआ तुझे हर बार देख कर..

ईश्क़ का खेल..

क्या ज़रूरी है के हम हार के जीते मोहसिन

ईश्क़ का खेल बराबर भी हो सकता है..

वो इक लकीर..

उसके सिवा कोई मेरे जज्बात में नहीं
आँखों में जो नमी है वो बरसात में नहीं

पाने की उसे कोशिश बहुत की मगर ऐ दोस्तों
वो इक लकीर है जो मेरे हाथ में नहीं।।

तेरी नज़रों से..

क्यों इंतज़ार करे किसी महकती हुई शाम का

तेरी नज़रों से ही छलकता है नशा किसी मदिरा के जाम का..

मेरे पास रह गया..

तकलीफ मीट गई लेकिन एहसास रह गया

खुश हो कि चलो कुछ तो मेरे पास रह गया..

Monday 18 April 2016

वो पास आते तो हम बात कर लेते..

वो पास आते तो हम बात कर लेते
वो साथ रहते तो हम प्यार कर लेते

क्या  मज़बूरी रही जो वो चले गए
वजह बताते तो हम इंतज़ार कर लेते।।

अस्वस्थ करून जातेस..

का कुणास ठाऊक आता तू रोज स्वप्नात येतेस

पाहते  परत जाताना मात्र, अस्वस्थ करून जातेस..

मनात तू ध्यानात तू ..

नजरेस पडल्यापासून तू
घडलीय कसली जादू
जिकडे पाहतो तिकडे तू
प्रतिमेत तू, प्रतिबिंबात तू

मनात तू ध्यानात तू
अन मंतरलेल्या क्षणांत तू

नजरेत तू डोळ्यात तू
अन ओघळणाऱ्या अश्रूत तू

सुरांत तू  तालात तू
अंगात भिनलेल्या लयात तू

चंद्रात तू चांदण्यात तू
अन नक्षत्राच्या नक्षीत तू

सांजेत तू दिवसात तू
अन पहाटेच्या स्वप्नांत तू

सागरात तू अंबरात तू
अन रिमझिमणाऱ्या धारात तू . 

ज़िन्दगी इक शमा थी पिघलती रही..

चाँदनी रात चुपके से ढलती रही
दिल तड़पता रहा, रूह मचलती रही

आँख से लाख दरिया बहाए मगर
ना बुझी आग सीने में जलती रही

हमने सोंचा था शायद सकून मिल सके
इक ख्वाहिश थी जो दिल में पलती रही

दोस्ती , दिल्लगी, शौख-ए-आवारगी
वक़्त पड़ने पे हर शय बदलती रही

राह-ए-दुश्वार में छोड़ कर सब चले
इक तेरी याद थी साथ चलती रही

देस-परदेस, तारीख़ कटे रोज़-व-शब
ज़िन्दगी इक शमा थी पिघलती रही..

वो जानता है मगर अंजान बना रहता है..

वो शख्स मेरी जान बना रहता है
उसका प्यार मेरी पहचान बना रहता है

कोई मुंतज़िर है उसका कितनी शिद्दत से
वो जानता है मगर अंजान बना रहता है..

लबों को चूम के..

सुना है तुम लेते हो बदला हर बात का

आजमायेंगे कभी तुझे हम भी तेरे लबों को चूम के..

तेरा आना भी..

तेरा आना भी किसी लम्हे की  देन था
तेरा जाना भी किसी लम्हे की  देन था

तु खुद में क्यों है शर्मसार सा
ये सब तो मेरी किस्मत का खेल था..

तु हुस्न का दरिया..

तु हुस्न का दरिया है तो क्या हुआ पागल

हमने कौनसा इस दरिया में डूब के मरना है.

तेरी खातिर..

बचा कर रखा है खुद को तेरी खातिर,

कोई प्यार से देखे तो बुरा लगता है..

बड़ी मुद्दतों..

करता तो है वो याद मुझे चाहत से मगर,

होता है ये कमाल बड़ी मुद्दतों के बाद..

दरिया में सैलाब है कितना..?

हमारे ईश्क़ में जो आज मेहफ़ूज़ है इतना,
खुदा जाने वो अब भी क्यों खामोश है इतना,

अगर दिल दे दिया है तो बेहिचक इज़हार करें,
हम देख ले कि इस दरिया में सैलाब है कितना..?

ईश्क़ तो उनको भी है..

उनकी ज़ुल्फ़ों के तले हम ज़माना भूला देते हैं,
वो इक नज़र से कितने अरमान जगा देते हैं,

ईश्क़ तो उनको भी है हमसे ये जानते हैं हम,
फिर भी ना कह कर क्यों वो इस दिल को सजा देते हैं..

दिल-व-जान के..

तुम मुझे रूह में बसा लो तो अच्छा है

ये दिल-व-जान के रिश्ते अक्सर टूट जाते हैं..

आज फिर टूटेंगी तेरे..

आज फिर टूटेंगी तेरे घर की नाज़ुक खिड़कियाँ

आज एक दीवाना तेरे शहर में देखा गया....

जिस दिन..

तेरी आवाज तेरे रूप की पहचान है
तेरे दिल की धड़कन में दिल की जान है

ना सुनू जिस दिन तेरी बातें
लगता है उस रोज़ यह जिस्म ही बेजान है..

ज़िन्दगी सिर्फ मोहब्बत नहीं..

ज़िन्दगी सिर्फ मोहब्बत नहीं
कुछ और भी है,

ज़ुल्फ़-व-रुखसार की जन्नत नहीं
कुछ और भी है..

खुद पे बीती तो..

खुद पे बीती तो रोते हो, सिसकते हो

वह जो हमने किया था, क्या ईश्क़ नहीं था.?

हमने छोड़ दी..

आज से हमने छोड़ दी मोहसिन

इस ख़ुशी में तो दो जाम हो जाये।।

प्रेम असत..

प्रेम असत ऊना सारखं कधी चटके देणारं,
प्रेम असत सावली सारखं कधी शीतल छाया देणारं,

प्रेम असत वाऱ्या सारखं कधी मनाला गारवा देणारं,
प्रेम असत पावसा सारखं कधी आठवणींचा सागर देणारं.

Zindagi Hai Ya..

Zindagi Hai Ya Koi Tufaan Hai
Hum to Is Jeene Ke Haathon Mar Chale..

सच की हालत..

सच की हालत किसी तवायफ सी है,
तलबगार बहुत हैं तरफदार कोई नही.

ज़िन्दगी तेरा चेहरा बदल जायेगा,.,

गाँव मिट जायेगा शहर जल जायेगा
ज़िन्दगी तेरा चेहरा बदल जायेगा,.,.!!
कुछ लिखो मर्सिया मसनवी या ग़ज़ल 
कोई काग़ज़ हो पानी में गल जायेगा,.,.!!
अब उसी दिन लिखूँगा दुखों की ग़ज़ल
जब मेरा हाथ लोहे में ढल जायेगा,.,.!!
मैं अगर मुस्कुरा कर उन्हें देख लूँ
क़ातिलों का इरादा बदल जायेगा,.,.!!
आज सूरज का रुख़ है हमारी तरफ़
ये बदन मोम का है पिघल जायेगा..

जिंदगी बेवफा सी लगती है..

पास रहकर, जुदा सी लगती  है ,
जिंदगी बेवफा सी लगती है.,.!!!
मै तुम्हारे, बगैर भी जी लूँ ,
ये दुआ बददुआ सी लगती है ,.,!!!
नाम उसका, लिखा है आँखों में,
आसुओं की ख़ता सी लगती है,.,!!!
वो भी इस तरफ से गुज़रा है ,
ये ज़मी आसमां सी लगती है ,.,!!!
प्यार करना भी जुर्म है शायद ,
आज दुनिया खफ़ा सी लगती है ,.,!!!
पास रहकर जुदा सी  लगती है ,
जिंदगी बे वफा सी लगती है....

Sunday 17 April 2016

रात-दिन का हिसाब हो जाऊँ..

तू मुझे नींद में बुला तो सही
क्या पता तेरा ख़्वाब हो जाऊँ,.,
दिल की नज़रों से गर पढ़े मुझको
आसमानी किताब हो जाऊँ,.,
अपने होंठों से मुझको चख तो जरा
मैं भी शायद शराब हो जाऊँ,.,
छोड़ कर दिल, दिमाग की मानूं
मैं भी हाज़िर जवाब हो जाऊँ,.,
उम्र मुझको बना ले गर अपनी
रात-दिन का हिसाब हो जाऊँ..

ना कधीच आले वास्तवाचे भान..

तुझे रूप डोळ्यात सांभाळतो मी
तुझ्या आठवणी पुन्हा चाळतो मी

सुखांनीच केला असा घात माझा
दु:खेच हल्ली कुरवाळतो मी

जगण्यास इथे कोण आले आहे
मरणास माझ्या हाताळतो मी

मला नको ऊब तुझ्या सांत्वनाची
उपेक्षेचे निखारे उरात जाळतो मी

ना कधीच आले वास्तवाचे भान
झोपेत स्वप्ने चुरगाळतो मी..

श्वास मोकळे झाले..

डोळ्यातील ढगांचे श्वास मोकळे झाले
साचलेल्या मनाचे आकाश मोकळे झाले

निघून गेला होता कुडी मधून जीव
जिंदा असण्याचे भास मोकळे झाले

गुलामीलाच आमची वाटून गेली लाज
तुझ्या चरणांचे दास मोकळे झाले

पोटामधील आगीत जाळून गेली भूक
कंठात अडकलेले घास मोकळे झाले

सांगू कशास आता कुणाशीही मी नाते
पायातील बेड्यांचे फास मोकळे झाले

विझवून टाकले होते देव्हार्यातले दिवे मी
देव दिसण्याचे आभास मोकळे झाले..

तुझे मै अपनी आदत..

तुझे मै अपनी आदत कुछ ऐसे लगा दूंगा
सपनोमे तेरे खुदको कुछ ऐसे बसा दूंगा
भुलना चाहेभी तू अगर कभी मुझको
तेरे यादो मे आकर मै तुझको रूला दूंगा

तुझे मै अपनी आदत ......

हर लमहा याद मुझको तू मेरे बाद करेगी
सोचेगी मिलनेकी मुझसे फरियाद करेगी
तू ना रह पायेगी मेरे बिन ऐ सनम
इतना ज्यादा मै तुझको मेरा प्यार दूंगा

तुझे मै अपनी आदत ......

मेरे बिन तू कभी सांसभी ना ले सकेगी 
जागेगी सोयेगी तू मुझेही याद करेगी
जिस्मसे रुह तक तू ऐसे आह भरेंगी
इस कदर मै तुझको दिवाना बना दूंगा..

जिवन वेदना..

ज्यास मी आधार झालो
त्यास आता भार झालो

सोसल्या इतक्या कळा की
वेदनांचा यार झालो

लेकराशी खेळताना
उंट, घोडा, कार झालो

त्याच बाळाच्या घरी हा
वृद्ध मी बेकार झालो

नातवाच्या तोंड माझ्या
पाहण्या लाचार झालो

मीच हो माझ्या घराचा
बंधनाचा दार झालो

राहिले ना त्राण आता
वेदनेने ठार झालो

शेवटी हो आश्रमाला
राहण्या मी स्वार झालो..



नशा..

हमने जब कहा नशा शराब का लाजवाब है,

तो उसने अपने होठो से सारे वहम तोड़ दिए।

अकेले हम ही शामिल नहीं..

अकेले हम ही शामिल नहीं हैं इस जुर्म में जनाब,

नजरें जब भी मिली थी मुस्कराये तुम भी थे।

वो मेरी आखिरी सरहद हो जैसे..

वो मेरी आखिरी सरहद हो जैसे,

सोच जाती ही नहीं उससे आगे।

मगर हर नशे का नाम..

हर बात का कोई जवाब नही होता,
हर इश्क का नाम खराब नही होता,

यूँ तो झूम लेते हैं नशे में पीने वाले,
मगर हर नशे का नाम शराब नही होता।

Friday 15 April 2016

तुझ्या विना ग मी नाही..

दुखः खुडती सारे
जेव्हा आकशी दिसते तारे
हे डोळे मग भरे
वाहती त्यातुन झरे

आठवती ग ती क्षणे
जेव्हा तु  गुणगुणे
आठवती ती दिणे
प्रेमाची ग सणे

तुझ्या विना माझे आयुष्य सुने
तुझ्या विना ही सने वाटती ग उणे
आयुष्याचे तु दिले वचन
पण का हे असे केले जिवन

तुझ्या विना ग मी नाही
माझ्या मधे ग तु नाही
आज असे का घडले ठाऊक नाही
पण तुझ्या विना मी नाही

तु ग केले मज दुर.....माझे ह्रद्य केले चुर.

एकटेच शब्द माझे..

एकटेच शब्द माझे
सोबतीला सूर नाही


दाटले डोळ्यांत अश्रू
पण आसवांचा पूर नाही


हाच आहे तो किनारा
येथेच होती भेट झाली..

पावसात ती भिजलेली..

पाण्याने भिजलेली 
थंडी ने शहारलेली 
विजांच्या कडकडाटाने घाबरलेली 
पावसाच्या थेंबांनी नटलेली 
ओलाव्याने सजलेली 
छत्रीत लपलेली 
चिखलावर थोडीशी रागावलेली 
पण वार्याने सुखावलेली 
दगडा दगडावर पाय टाकत चाललेली 
स्वतः ची स्वतःच सावरलेली 
खोटी खोटी रुसलेली 
थोडीशी लाजलेली 
माझ्याशी हसलेली 
जोराच्या पावसात 
काळ्या ढगांच्या काळोखात 
छत्र्यांच्या गर्दीत 
खरंच ती 
ती फार सुंदर दिसत होती ..

कुणीतरी आवडणं म्हणजे प्रेम की..

कुणीतरी आवडणं म्हणजे प्रेम की …
कोणाच्या डोळ्यात हरउन जाणं म्हणजे प्रेम …

कोणालातरी सारखं पाहत रहावसं वाटणं म्हणजे प्रेम की …
कोणालातरी विसरता न येणं म्हणजे प्रेम ….

कोणाची तरी प्रत्येक गोष्ट आवडणे म्हणजे प्रेम की …
आपली आणि कोणाच्या तरी आवडी जुळणे म्हणजे प्रेम …

कोणी स्वप्नांत येणं म्हणजे प्रेम की …
कोणाच्या सहवासात … स्वप्न जगल्यासारखं वाटणं म्हणजे प्रेम …

कोणावर विश्वास ठेवणे म्हणजे प्रेम की ….
कोणाचातरी विश्वास कधीच न तोडणे म्हणजे प्रेम ….

कुणाला माफ करणे म्हणजे प्रेम की ….
कुणाची तरी उगीचच माफी मागणे म्हणजे प्रेम ….

कुणाकडून काही घेणं म्हणजे प्रेम की ….
न मागता कोणाला काहीतरी देणं म्हणजे प्रेम ….

कोणासाठीतरी रडणारं मन म्हणजे प्रेम की ….
कुणाच्या तरी आठवणींत हसणारं मन म्हणजे प्रेम ….

कोणाशिवाय मरणं म्हणजे प्रेम की …
कोणासाठी जगणं म्हणजे प्रेम …

कोणासोबत चालणं म्हणजे प्रेम की ….
आयुष्यभर कोणासाठी थांबणं म्हणजे प्रेम की ….

कुणीतरी सुखात असल्याचा आनंद म्हणजे प्रेम की ….
कुणाच्या तरी सोबतीताला आनंद म्हणजेच प्रेम ….

अपनेपन की बातें यहाँ होती हैं बहुत..

बाग़ का हर पेड़ फल तो नहीं देता धुप की तपिश से साया मिला करता है

अपनेपन की बातें यहाँ होती हैं बहुत दिल बहलने का जरिया हुआ करता है..

मैं ख़ाली हाथ आता हूँ

भरे बाज़ार से अक्सर मैं ख़ाली हाथ आता हूँ,

कभी ख्वाहिश नहीं होती कभी पैसे नहीं होते।

जो फूल करते हैं..

इश्क़ में हमने वही किया जो फूल करते हैं बहारों में;

खामोशी से खिले, महके और फिर बिखर गए।

कहाँ आग लगी।

रात में कौन वहां जाये जहाँ आग लगी,
सुबह अख़बार में पढ़ लेंगे कहाँ आग लगी;

आग से आग बुझाने का अमल जारी था,
हम भी पानी लिए बैठे थे जहाँ आग लगी;

वो भी अब आग बुझाने को चले आएं हैं,
जिनको ये भी नहीं मालूम कहाँ आग लगी;

किसको फुरसत थी जो देता किसी आवाज़ पे ध्यान,
चीखता फिरता था आवारा धुंआ आग लगी;

सुबह तक सारे निशानात मिटा डालेंगे,
कोई पूछेगा तो कह देंगे कहाँ आग लगी।

आँखों की नमी और तेरी कमी।

बदल गया वक़्,त बदल गयी बातें, बदल गयी मोहब्बत;

कुछ नहीं बदला तो वो है इन आँखों की नमी और तेरी कमी।

पहली मुलाकात थी..

पहली मुलाकात थी, हम दोनों ही थे बेबस;

वो जुल्फें न संभाल पाए और हम खुद को।

हर दुआ में..

मेरे दिल ने जब भी कभी कोई दुआ माँगी है;
हर दुआ में बस तेरी ही वफ़ा माँगी है;

जिस प्यार को देख कर जलते हैं यह दुनिया वाले;
तेरी मोहब्बत करने की बस वो एक अदा माँगी है।

जो न संभलते तो गुज़र ही जाते।

बरसो बाद तेरे करीब से गुज़रे,

जो न संभलते तो गुज़र ही जाते।

देख लिया..

राज़-ए-उल्फ़त छुपा के देख लिया

दिल बहुत कुछ जला के देख लिया..

Thursday 14 April 2016

सर्कस.

मैने अपने दिल का नाम सर्कस रख दिया है लोग आते हैं, घुमते हैं , निकल जाते हैं....

हम क्या कहे..

"दिल की बात दिल में छुपा लेते हैं वो, हमको देख कर मुस्कुरा देते हैं वो,
हम क्या कहे ज़माने से की वो कौन है हमारे ,
और हम कौन है उनके."

हम भी तो अजनबी..

मंजिल का नाराज होना तो जायज था हम भी तो अजनबी राहो से दिल लगा बैठे थे.

तिरे लब से..

सुना है फूल झड़े थे जहाँ तिरे लब से
वहाँ बहार उतरती है रोज़ शाम के साथ..

पर इतना याद आयेगा..

उनसे दूर जाने का इरादा तो न था सदा-साथ रहने का भी वादा तो न था
वो याद आयेगा ये जानते थेहम पर इतना याद आयेगा ये अंदाजा न था..

मोहब्बत और आदत..

तू मेरी मोहब्बत नहीं, आदत है
और

मोहब्बत झूठी हो सकती है आदत नहीं..

तू ही तू मुझको याद आया..

जहां भी देखा गम का साया तू ही तू मुझको याद आया
ख्वाबों की कलियां जब टूटी ये गुलशन लगने लगा पराया ..

छेड़ती हैं कभी लब को, कभी..

छेड़ती हैं कभी लब को, कभी रुखसारों को

तुमने ज़ुल्फ़ों को बहुत सर पे चढ़ा रखा है..

होंटों को रोज़..

होंटों को रोज़ इक नये दरिया की आरज़ू

ले जाएगी ये प्यास की आवारगी कहाँ।।

कुछ गुस्ताखियाँ कर लूँ..

तमन्नाओं को ज़िंदा, आरज़ुओं को जवाँ कर लूँ,

ये शर्मीली नज़र  कह दे तो कुछ गुस्ताखियाँ कर लूँ..

आँखें खुली तो..

आँखें खुली तो जाग उठी हसरतें तमाम,

उसको भी खो दिया जिसे पाया था ख़्वाब में..

कैसे कैसे..

कैसे कैसे ऐसे वैसे हो गए,


ऐसे वैसे कैसे कैसे हो गए..

बोतलें खोल कर..

बोतलें खोल कर तो पी बरसों



आज दिल खोल कर भी पी जाए.. 

इक अदा थी, नाज़ था, अंदाज़ था..

पहले इस में इक अदा थी, नाज़ था, अंदाज़ था,

रूठना अब तो तेरी आदत में शामिल हो गया..

एक पत्थर की भी तक़दीर..

एक पत्थर की भी तक़दीर सँवर सकती है,

शर्त ये है कि सलीक़े से तराशा जाये।।

तबस्सुम की सजा..

गुलों को खिल के मुरझाना पड़ा है,

तबस्सुम की सजा कितनी बड़ी है.. 


(तबस्सुम=Smile)

दिल टूटने से थोड़ी सी..

दिल टूटने से थोड़ी सी तकलीफ़ तो हुई,

लेकिन तमाम उम्र को आराम हो गया..

मासूम किस क़दर..

मासूम किस क़दर था मैं आग़ाज़-ए-ईश्क़ में,

अक्सर तो उसके सामने शरमा गया हूँ  मैं.. 

एक ज़माने से..

मैं एक ज़माने से तुम्हें ढूँढ रहा हूँ,

तुम एक ज़माने से खुदा जाने कहाँ हो.?

प्रेम करणार नाही..

प्रेमाचे गुंतून धागे,
दूर अशी तू जाऊ नकोस,

मला सुधा मन आहे,
हे तू विसरू नकोस,

कितीही रागावलीस तू,
मी तुज्यावर रागावारणार नाही,

कारण तुज्याशिवाय मी कोणावर,
प्रेम करणार नाही..

तो अनमोल आनंद होता..

आवाज येत होता झुळूझुळू पाण्याचा,
थांबवू शकत नव्हतो वेग मनाचा,

क्षण प्रत्येकी जो होता आनंदाचा,
तो अनमोल आनंद होता आमच्या प्रेमाचा.

तुला पहिल्या शिवाय..

तू सुंदर दिसतेस त्याला..
तू काय करणार,
प्रेम करतो तुझ्यावर त्याला..
मी काय करणार,
पण काय आहे तुझ्यात..
मला काळात नाही..
तुला पहिल्या शिवाय..
माझा दिवस जात नाही..

माणूस हा एकटा कसा राहणार..

निसर्गाला रंग हवा असतो..
फुलाला गंध हवा असतो..

माणूस हा एकटा कसा राहणार..
कारण त्यालाही प्रेमाचा छंद हवा असतो.

रूप देखणे बघून..

मृदु शय्या टोचते स्वप्न नवे लोचनी
पाहिलेस तू तुला आरशात ज्या क्षणी

रूप देखणे बघून नयन हे सुखावले
ना कळे कधी कुठे मन वेडे गुंतले..

अन तिथे मी एकटाच होतो..

निशब्द एका तळ्या काठी,
मी गप्पांत तुझ्यारंगलो होतो.

पण तो सुद्धा शेवटी भासंच ठरला सये,
ते पाण्यावर पडलेल तुझ प्रतिबिंब,
अन तिथे मी एकटाच होतो..

तिला सवयचं होती..

तिला सवयचं होती
ह्रदयाशी खेळण्याची,

म्हणून ती ही गेली आता
माझ्या भावनांनशी खेळून..

तुझ तुला कळतंय का ते पहावं..

एकदा वाटतं तुला स्पष्ट सांगावं
मग वाटतं कागदावर लीहाव 
नंतर म्हंटले जाऊ दे
तुझ तुला कळतंय का ते पहावं.. 

मीच असेल उभा..

पाहशील जिथे जिथे नजर उचलून…
मीच असेल उभा ओठांवर स्मित घेऊन 🙂


आलेच कधी जर तुझ्या डोळ्यात दुखांचे अश्रू….
तुला सुखाचे आनंदाश्रू तिथे तिथे देऊन.. 

परवाना मगर सदियों तक..

सिलसिला उल्फत का चलता ही रह गया,
दिल चाह में दिलबर के मचलता ही रह गया,


कुछ देर को जल के शमां खामोश हो गई,
परवाना मगर सदियों तक जलता ही रह गया..

बड़े खुश नसीब हैँ वो लोग..

ना शौक दीदार का, ना फिक्र जुदाई की,


बड़े खुश नसीब हैँ वो लोग जो मोहब्बत नहीँ करतेँ!

बचपन वाला ‘इतवार’

सुकून की बातमत कर ऐ दोस्त.,


बचपन वाला ‘इतवार’ जाने क्यूँ अब नहीं आता..

कुछ अलग ही करना है..

कुछ अलग ही करना है
तो वफ़ा करो दोस्त,


वरना

मज़बूरी का नाम लेकर
बेवफाई तो सभी करते है..

मौहब्बत की मिसाल में..

मौहब्बत की मिसाल में,
बस इतना ही कहूँगा.


बेमिसाल सज़ा है,
किसी बेगुनाह के लिए..

बुरे तो हम है..

तुम भी अच्छे … तुम्हारी वफ़ा भी अच्छी,


बुरे तो हम है जिनका दिल नहीं लगता तुम्हारे बिना..

तू झूठ भी कितनी..

मुस्कुरा देता हूँ अक्सर देखकर पुराने खत तेरे,,,


तू झूठ भी कितनी सच्चाई से लिखती थी..

कम्बख्त ये जिंदगी..

जो लम्हा साथ हैं, उसे जी भर के जी लेना.


कम्बख्त ये जिंदगी.. भरोसे के काबिल नहीं है..

मेरी यादें मेरा चेहरा..

मेरी यादें मेरा चेहरा मेरी बातें रुलायेंगी,
हिज़्र के दौर में गुज़री मुलाकातें रुलायेंगी,


दिनों को तो चलो तुम काट भी लोगे फसानों मे,
जहाँ तन्हा मिलोगे तुम तुम्हे रातें रुलायेंगी|

याद वही आते है..

आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने की,
लम्हें तो अपने आप ही मिल जाते हैं,


कौन पूछता है पिंजरे में बंद पंछियों को,
याद वही आते है जो उड़ जाते है…!!