उनकी ज़ुल्फ़ों के तले हम ज़माना भूला देते हैं,
वो इक नज़र से कितने अरमान जगा देते हैं,
ईश्क़ तो उनको भी है हमसे ये जानते हैं हम,
फिर भी ना कह कर क्यों वो इस दिल को सजा देते हैं..
वो इक नज़र से कितने अरमान जगा देते हैं,
ईश्क़ तो उनको भी है हमसे ये जानते हैं हम,
फिर भी ना कह कर क्यों वो इस दिल को सजा देते हैं..
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