Thursday 21 April 2016

एक चादर में लिपटे दो बदन, एक तेरा हो एक मेरा हो..

तेरी चांदनी में नहाऊं मैं और हर तरफ अँधेरा हो
एक चादर में लिपटे दो बदन, एक तेरा हो एक मेरा हो

तेरे मखमली बदन में, खुशबुओं के चमन में
सदियों तक वो रात चले, सदियों दूर सवेरा हो
एक चादर में लिपटे दो बदन, एक तेरा हो एक मेरा हो

तेरे होंटों को जब सील दूँ मैं, अपने होंठों के धागे से
एक सन्नाटे में ख़ामोशी से, तेरी बाहों ने मुझको घेरा हो
एक चादर में लिपटे दो बदन, एक तेरा हो एक मेरा हो

दोनों लिपटे एक-दुजे में, एक गाँठ सी लग जाये बदनों में
मेरे जिस्म में घर मिल जाये तुझे, तेरे जिस्म में मेरा बसेरा हो
एक चादर में लिपटे दो बदन, एक तेरा हो एक मेरा हो

मोहसिन कहता है कुछ ऐसा हो, तु बन जाये मैं, मैं बन जाऊं तु
बिस्तर पर तेरे मेरे सिवा, सिर्फ जुनून और ख़ामोशी का डेरा हो
एक चादर में लिपटे दो बदन, एक तेरा हो एक मेरा हो..

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