Friday 27 May 2016

आज फिर कोई ग़ज़ल तेरे नाम हो जाये..

आज फिर कोई ग़ज़ल तेरे नाम हो जाये
तु ही मेरी सुबह, तु ही मेरी शाम हो जाये
तुझसे क्या रिश्ता है मेरा, ना जानू मैं
पर तु हुकुम तो कर, दिल तेरा ग़ुलाम हो जाये
     दो पल का मिलना भी कोई मिलना है हुज़ूर
     हामी तो भरो, मिलने का इंतजाम हो जाये
     तेरी आँखों में डूब जाने को जी करता है
     कभी आँखों से पिलाओ, ऐसा भी कोई जाम हो जाये
मैं ग़ज़ल कहूँ और तुम मुकरर मुकरर कहो
तेरी मुस्कराहट ही मेरी ग़ज़ल का इनाम हो जाये
तेरे हुस्न की तारीफ करूँ तो वक़्त थम जाये
    तेरी खूबसूरती के आगे मेरा हर लफ्ज़ नीलाम हो जाये
    "मोहसिन" सच कहता है बहोत हसींन हो तुम
    ज़रा सा शरमा जाओ तो बेचारे दिल को आराम हो जाये।। 

Thursday 26 May 2016

आँखों में समां जाओ, इस दिल में रहा करना..

आँखों में समां जाओ, इस दिल में रहा करना
तारों में हंसा करना, फूलों में खिल करना
      जब से तुम्हें देखा है, जब से तुम्हें पाया है
      कुछ होश नहीं मुझको, इक नशा सा छाया है
      अब बात जो करनी हो, आँखों से कहा करना
ऐ काश! धड़कता दिल, कुछ देर ठहर जाये
ये रात मोहब्बत की, यूँ ही न गुज़र जाये
बाक़ी है अभी तुम पर, ये जान फ़िदा करना
आँखों में समां जाओ, इस दिल में रहा करना
     किस्मत न दिखाए अब, घड़ियाँ हमें फुरक़त की
     हर रात यूँ ही चमके, तक़दीर मोहब्बत की
     ऐ चाँद सितारों, तुम मिल-जुल के दुआ करना
    आँखों में समां जाओ, इस दिल में रहा करना।।

शाम से आँख में नमीं सी है..

शाम से आँख में नमीं सी है
आज फिर आपकी कमी सी है

दफ़न कर दो हमें के साँस मिले
नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है

वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर
उस की आदत भी आदमी सी है

शाम से आँख में नमीं सी है
आज फिर आपकी कमी सी है..

Wednesday 25 May 2016

मोहब्बत की मिन्नतें..

तुम्हारी आँखों में अपने प्यार की चाँदनी बसा लूँ
            ऑंखें बंद करो तो मुझे ही पाओ

सितारों की महफ़िल तुम्हारे लिए सजाऊँ
नज्में और ग़ज़लें फिर हमारी प्यार की हो

जुल्फें अपनी तुम पर बिछाऊँ इस क़दर
सूरज भी हैरां कि उसकी धुप का असर न हो

         परवाना भी शमा पे जलना छोड़ दे
मोहब्बत देख मेरी उसकी शिद्दत में ताक़त न हो

        मेरे लबों का शहद छुए इस तरह
किसी और जायके का फिर लुत्फ़ न हो

       एक ही ख्वाब बस एक ख्वाहिश
हर सेहर तुमसे हबीब हर शाम तुम्हारी आगोश में हो

मेरी मोहब्बत की मिन्नतें सुन ले ऐ मेरे रक़ीब
फिर किसी और दुआ पे तेरी नज़र न हो..

खैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती..

दिल में न हो जुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती
खैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती

कुछ लोग यूँ ही शहर में हमसे भी खफा हैं
हर एक से अपनी भी तबियत नहीं मिलती

देखा था जिसे मैंने कोई और था शायद
वो कौन है जिस से तेरी सूरत नहीं मिलती

हँसते हुए चेहरों से है बाज़ार की ज़ीनत
रोने को यहाँ वैसे भी फुरसत नहीं मिलती..

Tuesday 24 May 2016

पुन्हा मी माझा..

मी कमी बोलतो म्हणून
शब्द कागदावर उतरतात
बोलायला गेलो तर वेडे
ओठातूनच परततात

तुला डोळे भरून पाहायचं असतं पण
तू आलीस की डोळेच भरून येतात
आणि बोलायचं म्हटलं तर
शब्द मुकेपण धरून येतात..

Monday 23 May 2016

हम तो आइने की तरह..

वो जिनका प्यार था नज़रों की क़ायनात कभी
करीब आ कर वो ही दिल का शहर लूट गए

कहाँ कहाँ से समेटेगा वो हमें मोहसिन
के हम तो आइने की तरह  टूट फूट गए..

तेरे चेहरे पे मेरी ऑंखें..

तेरे चेहरे पे मेरी ऑंखें सफर करती हैं
चाँद के पहलु में जैसे रातें सफर करती हैं

मैं तुझे और क्या वफ़ा का सिला दूँ
तेरे सीने में मेरी सांसें सफर करी हैं..

ऐ दोस्त..

तु गलती से भी कन्धा न देना
मेरे जनाज़े को ऐ दोस्त

कही फिर ज़िन्दा न हो जाऊँ
तेरा सहारा देख कर..

मिनिस्टर बनेगा तु..

इस मर्तबा भी आए हैं नंबर तेरे तो कम
रुसवाईयों का क्या मेरी दफ्तर बनेगा तु

बेटे के मुँह पे दे के चपत बाप ने कहा
फिर फ़ैल हो गया है मिनिस्टर बनेगा तु..

तो लगता है कि तुम हो..

आहट सी कोई आये तो लगता है कि तुम हो
साया कोई लहराये तो लगता है कि तुम हो

जब शाख़ कोई हाथ लगाते ही चमन में
शरमाए लचक जाए तो लगता है कि तुम हो

संदल से महकती हुई पुर-कैफ़ हवा का
झोंका कोई टकराए तो लगता है कि तुम हो

ओढ़े हुए तारों की चमकती हुई चादर
नदी कोई बल खाए तो लगता है कि तुम हो

जब रात गए कोई कोई किरण मेरे बराबर
चुप-चाप सी सो जाए तो लगता है कि तुम हो..

Sunday 22 May 2016

मोहब्बत..

कभी ज़िन्दगी का नाम है मोहब्बत
कभी मौत का पैग़ाम है मोहब्बत

कभी मोहब्बत से मिलती है ख़ुशी
कभी ग़म की शाम है मोहब्बत

कभी आंसुओं का रेला है मोहब्बत
कभी हंसी का जाम है मोहब्बत

कभी है है मोहब्बत दिल की जलन
कभी दिल का अरमान है मोहब्बत

कभी मोहब्बत है मिलान का रूप
कभी तन्हाई की तरह बेनाम है मोहब्बत

कभी मोहब्बत शहनाईयों की घड़ी
कभी रुसवाई का अंजाम है मोहब्बत

कभी मोहब्बत से है ज़माने में इज्जत
कभी बेशर्मी का इल्जाम है मोहब्बत

     कभी मोहब्बत है बेनाम ज़िन्दगी
कभी ज़िन्दगी कहती है मेरा नाम है मोहब्बत।।

एक तुम ही नहीं मेरी जुदाई में परेशां..

जिन राहों पे एक उमर तेरे साथ रहा हूँ
कुछ रोज़ से वो रास्ते सुनसान बहोत हैं

मिल जाओ कभी लौट के आओ न शायद
कमज़ोर हूँ मैं राह में तूफ़ान बहोत हैं

एक तुम ही नहीं मेरी जुदाई में परेशां
हम भी तेरी चाह में वीरान बहोत हैं

एक तर्क-ए-वफ़ा में उसे कैसे भूला दूँ
मुझ पर अभी उस शख्स के एहसान बहोत हैं

भर आई न आँखें तो मैं एक बात बताऊँ
अब तुझसे बिछड़ जाने के इमकान बहोत हैं..

जब तक..

मोहब्बत करने वालों को इन्कार अच्छा नहीं लगता
दुनिया वालों को ये इक़रार अच्छा नहीं लगता

जब तक लड़का-लड़की भाग न जाएँ
मोहल्ले वालों को प्यार सच्चा नहीं लगता।।

चुभन दे गया..

एक दिन मेरे दिल को जलन दे गया
ज़िन्दगी मुझे जीने का कफ़न दे गया

लाखों फूलों में से एक फूल चूना हमने
जो काँटों से गहरी चुभन दे गया..

धूम मचा दी जाए..

सी के लब इक क़यामत सी उठा दी जाए

रह के खामोश ज़रा धूम मचा दी जाए..

Saturday 21 May 2016

अपना बना ले मुझको..

अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको
मैं हूँ तेरा तो नसीब अपना बना ले मुझको

मुझसे तू पूछने आया है वफ़ा के माने
ये तेरी सादा दिली मार ना डाले मुझको

खुद को मैं बाँट न डालूँ कहीं दामन-दामन
कर दिया तु ने अगर मेरे हवाले मुझको

वादा फिर वादा है मैं ज़हर भी पी जाऊँ
शर्त ये है कोई बाँहों में सम्भाले मुझको।।

Friday 20 May 2016

तेरी आँखों के लिए..

झील अच्छा, कँवल अच्छा के जाम अच्छा है

तेरी आँखों के लिए कौनसा नाम अच्छा है..?











तेरे नाम कर दूँ..

अपनी ज़िन्दगी की हर शाम तेरे नाम कर दूँ
तेरी ही आँखों का जाम तेरे नाम कर दूँ

मैं डूब जाऊं तेरी इन झील सी गहरी आँखों में
फिर अपनी बरबादी का इल्जाम तेरे नाम कर दूँ

मैं अपनी रूह को तेरे वजूद में भर दूँ
फिर अपनी जात अपना पयाम तेरे नाम कर दूँ

तु मुझे मोहब्बत का आग़ाज़ दे सनम
मैं अपने प्यार का अंजाम तेरे नाम कर दूँ

मोहब्बतों के क़सीदे लिखूँ तेरी सना में
हज़ारों प्यार के पैग़ाम तेरे नाम कर दूँ

हो जिसका जिक्र मोहब्बत की हर कहानी में
इक ऐसा प्यार का पैग़ाम तेरे नाम कर दूँ..

Tuesday 17 May 2016

इंतज़ार...

शर्मिंदा हूँ इन फूलों से
जिनको तेरे लिए टहनी से जुदा किया

और वो मेरे हाथों में ही सूख गए
तेरा इंतज़ार करते करते।।

मुझे तो ख़ैर..

वफ़ा में अब ये हुनर इख़्तियार करना है
वो सच कहे ना कहे ऐतबार करना है

ये तुझको जागते रहने का शौक़ कबसे हुआ?
मुझे तो ख़ैर तेरा इंतज़ार करना है..

Thursday 12 May 2016

मुझे यूँ भी तो नसीब हो..

कोई रात मेरे आशना, मुझे यूँ भी तो नसीब हो
ना रहे खयाल लिबास का, वो इतना मेरे करीब हो

बदन की गर्म आंच से मेरी आरज़ू को आग दे
मेरा जोश बहक उठे, मेरा हाल भी अजीब हो

तेरे चाशनी वजूद का सारा रस मैं चुरा लूँ
फिर तु ही मेरा मर्ज़ हो, और तु ही मेरा तबीब हो..

हिचकियाँ..

कहाँ से आती हैं ये हिचकियाँ
ना जाने कौन फरियाद करता है

खुदा हमेशा सलामत रखे उसको
जो हमें अपने दिल से याद करता है..

अपना वो जो..

तुम्हारे अपनेपन पर नाज़ है हमें
कल था जितना भरोसा उतना आज है हमें

अपना वो नहीं जो ख़ुशी में साथ दे
अपना वो जो हर पल अपनेपन का एहसास दे..

हुस्न को चाँद, जवानी को कँवल कहते हैं..

हुस्न को चाँद, जवानी को कँवल कहते हैं
उनकी सूरत नज़र आए तो ग़ज़ल कहते हैं

उफ्फ़! वो मरमर से तराशा हुआ शफाफ बदन
देखने वाले उसे ताजमहल कहते हैं

पड़ गई पाँव में तक़दीर की ज़ंजीर तो क्या
हम तो उसको भी तेरी जुल्फ़ का बाल कहते हैं

मुझको मालूम नहीं इसके सिवा कुछ भी मोहसिन
जो सदी वस्ल में गुज़रे उसे पल कहते हैं..

कोई अपना ऐसा हुआ करे..

कोई अपना ऐसा हुआ करे
जो शिकायतें, न गिला करे

जो मेरे लिए ही सजा करे
जो मेरे लिए ही बना करे

मैं जो रूठ जाऊं मनाए वो
मैं उदास हूँ तो हंसाये वो

सदा चुपके-चुपके दबे क़दम
मेरे साथ ही बस चला करे

कभी उससे जो मैं दूर हूँ
वो मेरी वापसी की दुआ करे

कोई अपना ऐसा हुआ करे
कोई अपना ऐसा हुआ करे..

अगर रातों में जागने से..

अगर रातों में जागने से होती ग़मों में कमी

तो मेरे दामन में खुशियों के सिवा कुछ भी न होता..

ऐसी भी बेरुखी

ऐसी भी बेरुखी देखी है हमने
के लोग....

आप से तुम, तुम से जान
जान से अंजान हो जाते हैं..




Wednesday 11 May 2016

उस हसींन चेहरे की..

उस हसींन चेहरे की क्या बात है
हर दिल अज़ीज़, कुछ ऐसी उसमे बात है

है कुछ ऐसी कशिश उस चेहरे में
के इक झलक के लिए सारी दुनिया बेताब है..

झुकी-झुकी नज़रों से..

झुकी-झुकी नज़रों से इजहार कर गया कोई
खुद से हमें बेग़ाना कर गया कोई

वैसे तो कुछ भी नहीं कहा होंठों से पर
आँखों से दिल के लफ्ज़ बयाँ कर गया कोई..

सांसों की हरारत से पिघल जाने का मौसम..

सांसों की हरारत से पिघल जाने का मौसम
आया है तेरी आँच में जल जाने का मौसम

हम को नहीं मालूम था है इश्क का आग़ाज़
यादों में कहीं दूर निकल जाने का मौसम

लगता है के चेहरे पे तेरे ठहर गया है
यक्-लख्त कभी रंग बदल जाने का मौसम

यह शहर-ए-तमन्ना भी अनोखा है के इस में
बरसात भी रहता है थल जाने का मौसम

चेहरे पे अगरचे है मेरे सुबह का उजाला
आँखों में मगर शाम का ढल जाने का मौसम।।

मोहब्बत करने वाले कम न होंगे..

मोहब्बत करने वाले कम न होंगे
तेरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे

ज़माने भर के ग़म या इक तेरा ग़म
यह ग़म न होगा तो कितने ग़म न होंगे

अगर तु इत्तेफ़ाक़न मिल भी जाये
तेरी फुरक़त के सदमें कम न होंगे

दिलों की उलझनें बढ़ती रहेंगी
अगर कुछ मश्वरे बाहम न होंगे

हफ़ीज़ उनसे मैं जितना बदगुमाँ हूँ
वो मुझसे इस क़दर बरहम न होंगे।।

Tuesday 10 May 2016

तुम हसीन हो..

तुम हसीन हो गुलाब जैसी हो
बहोत नाजुक हो ख्वाब जैसी हो

होंठों से लगाकर पी जाऊं तुम्हें
सर से पाँव तक शराब जैसी हो..

क्या कशिश थी..

क्या कशिश थी उसकी आँखों में

मत पूछो

मुझसे मेरा दिल लड़ पड़ा मुझे वो शख्स चाहिए।

ख़ामोशी तेरी..

लोग शोर से जाग उठते हैं

मुझे सोने नहीं देती...ख़ामोशी तेरी।

शहर में आ कर लोग हुए दीवाने क्यों

अपने आप से फिरते हैं बेगाने क्यों
शहर में आ कर लोग हुए दीवाने क्यों

हम ने कब मानी थी बात ज़माने की
आज हमारी बात ज़माना माने क्यों

सच्ची बात से घबराने की आदत क्या
झूठे लोगों से अपने याराने क्या

खलवत में जब आँख मिलाते डरता हूँ
मेले में वो शख्स हमें पहचाने क्या

मोहसिन जब भी चोंट नई खा लेता हूँ
दिल को याद आते हैं यार पुराने क्यों।।




छोड़ा है किसी ने..

दिल-ए-उम्मीद को तोडा है किसी ने
सहारा दे के छोड़ा है किसी ने

हम इन शीशागरों से पूछते हैं
क्या टूटे दिल को जोड़ा है किसी ने

अब की बार हमें ऐसा लगता है
हमारे सर को फोड़ा है किसी ने..

Monday 9 May 2016

इंसान कितना भी गोरा रहे..

इंसान  कितना भी गोरा रहे उसकी

एक चीज़ हमेशा काली रहती है
.
.
.
.
.
.
.
.

परछाई..

शाम खामोश है..

शाम खामोश है पेड़ों पे उजाला कम है

लौट आये हैं सभी एक परिंदा कम है..

बड़े सीधे-साधे..

बड़े सीधे-साधे बड़े भोले-भाले

कोई देखे इस वक़्त चेहरा तुम्हारा।

खुदा जाने वो..

बंद होंठ, बिखरी जुल्फें, ग़जब की अंगड़ाई

खुदा जाने वो कैसे बिस्तर छोड़ती होगी।।

अगर..

करिश्मा कुदरत का अगर अजीब न होता
क़सम से कोई ग़रीब न होता

अगर पैसे से बिकती मोहब्बत तो
ग़रीब को प्यार कभी नसीब न होता।।

एक लड़की..

एक लड़की सुन्दर कोमल सी
जो खुद को बारिश कहती है

हर मौसम उसका मौसम है
वो मुझपे बरसा करती है..

देखा जायेगा..

जब मोहब्बत बेहिसाब की,
तो ज़ख्मों का हिसाब क्या करना

अक़्ल कहती है कि मारा जायेगा,
ईश्क़ कहता है कि देखा जायेगा।।

एक औे एक

एक औे एक (१+१) मिलकर ११ होते हैं

बशर्ते

उनके ९ बच्चे हो जाएँ।।

मोहब्बत की कहानी..

नहीं हुआ मुझे नसीब प्यार किसी का
फिर मैं क्यों करूँ ऐतबार किसी का

ऐ वक़्त तु भी ज़रा ठहर जा
मेरी आँखों को भी है इंतज़ार किसी का

सारी दुनिया रूठ जाये कोई ग़म नहीं
जीते जी न जुदा हो दिलदार किसी का

क्या पूछते हो कहानी मेरी मोहब्बत की
चलते चलते कर लिया था मैंने भी ऐतबार किसी का..

मोहब्बत और आदत..

बात मोहब्बत की नहीं आदत की थी
मुझे उसकी आदत हो गई थी

और आदत बअज़ दफा मोहब्बत से भी
ज़्यादा जानलेवा साबित होती है..

मशहूर किया है..

कितनी आसानी से मशहूर किया है खुद को

मैं ने अपने से बड़े शख्स को गाली दी है..

कहो सुनो कुछ..

आँखें यूँही भीग गई क्या देख रहे हो आँखों में

बैठो साहब कहो सुनो कुछ, मिले हो कितने साल के बाद..

कभी कभी..

होती है तेरे नाम से वहशत कभी कभी
बरहम हुई है यूँ भी तबियत कभी कभी

तेरे करीब रहकर भी दिल मुतमइन न था
गुज़री है मुझ पे ये भी क़यामत कभी कभी

कुछ अपना होश था न तुम्हारा खयाल था
यूँ भी गुज़र गई शब-ए -फुरक़त कभी कभी

ऐ दोस्त हमने तर्क-ए -मोहब्बत के बावजूद
    महसूस की है तेरी ज़रुरत कभी कभी...

Saturday 7 May 2016

उंगलियां..

जब नाम तेरा प्यार से लिखती हैं उंगलियां
मेरी तरफ ज़माने की उठती हैं उंगलियां

दामन सनम का हाथ में आया था इक पल
दिन रात उस इक पल से महकती हैं उंगलियां

जिस दिन से दूर हो गए उस दिन से ऐ सनम
बस दिन तुम्हारे आने के गिनती हैं उंगलियां

पत्थर तराश कर ना बना ताज एक नया
फ़नकार की ज़माने में कटती है उंगलियां।।

बंध जुळले असता..

बंध जुळले असता
मनाचं नातंही जुळायला हवं

अगदी स्पर्शातूनही,
सारं सारं कळायला हवं..

वेडया मनाला माझ्या..

वेडया मनाला माझ्या,
तुझ्याशिवाय आता काही सुचतच नाही

तू, तू अन फक्त तूच
तुझ्याशिवाय दुसरं काही दिसतंच नाही

अबोल हि प्रीत माझी
तुला का कधीच कळत नाही

अन वेडं हे मन माझं
तुला पाहिल्याशिवाय काही राहवतच नाही

तुला पाहिल्याशिवाय
खरंच काही राहवतच नाही.!

अब घर भी जा कर क्या करना..

कोई ग़ज़ल सुना कर क्या करना
यूँ बात बढा कर क्या करना

तुम मेरे थे तुम मेरे हो
दुनिया को बता कर क्या करना

तुम अहद निभाओ चाहत से
कोई रस्म निभा कर क्या करना

तुम ख़फ़ा भी अच्छे लगते हो
फिर तुम को मना कर क्या करना

तेरे दर पे आ के बैठे हैं
अब घर भी जा कर क्या करना

दिन याद से अच्छा गुज़रेगा
फिर तुम को भूल कर क्या करना..?

Friday 6 May 2016

ना नींद आती है ना..

नींद आती है तो एक ख्वाब आता है
ख्वाब एक लड़की आती है और पीछे उसका बाप आता है

फिर क्या,
फिर ना नींद आती है ना ख्वाब आता है..

हालात से मजबूर..

हो के हालात से मजबूर चले जाते हैं
बेटे अपनी माँओ से दूर चले जाते हैं

घर के आँगन में प्यार से पलने वाले
बन के मजदूर परदेस में चले जाते हैं..
हरवलेले हे दिवस येतील का पुन्हा,
जगलो आज आणि उद्या हाच दिवस जुना,
नशिबानेच एकदा पुन्हा कुठेतरी भेटू
आठवणीला एकदा एकत्र मिळून वेचू

पण तेव्हा सर्व काही बदललेलं असेल
कोणीतरी बोलावतंय म्हणून भेट लवकर सुटेल

लांबपर्यंत चालणार्या गप्पागोष्टी राहणार नाही,
आठवणींचा हा झरा मग त्या दिशेने वाहणार नाही

आज सोबत आहोत, वाटेल तसं जगून घ्या
जीवनभर पुरतील अशा आठवणी जपून घ्या..

मज़बूत रहते रहते..

कुछ लोग जब रोते हैं तो इस लिए नहीं के वो कमज़ोर होते हैं

बल्कि इसलिए रोते हैं के मज़बूत रहते रहते थक जाते हैं..

Thursday 5 May 2016

तो ढूंढना मुश्किल हो..

तुम फूलों में छुपी हो
तो ढूंढना मुश्किल हो

कलियों में तुम एक कली हो
तो ढूंढना मुश्किल हो

गुलाबों में तेरी शिकन हो
तो ढूंढना मुश्किल हो

खुशबू तेरी गुलशन में हो
तो ढूंढना मुश्किल हो..

मेरी ज़िन्दगी में अब रात कहाँ..

मेरी ज़िन्दगी में अब रात कहाँ
के मेरा दिन, मेरा उजाला, मेरा सवेरा तो तुम हो
और
जब तुम मेरी ज़िन्दगी में शामिल हो तो
मेरी ज़िन्दगी में रात कहाँ।।

Wednesday 4 May 2016

वो कहती है..

वो कहती है.,
मेरे हाथों की मेहंदी में
मेरे आँखों के काजल में,
मेरे होंठों  की लाली में,
मेरे जुल्फों के आँचल में,
जाने जान,
हर एक चीज़ अधूरी है,
जैसे के तुम मेरे बिना
और
मैं तुम्हारे बिना।।

आते हो तुम बरसात में..

आते हो तुम बरसात में दीवानी मुझे बनते हो
मेरे भीगे बदन को देख कर शरारत से मुस्कुराते हो

कपकपाते इस जिस्म को अपनी बाँहों का आँचल उड़ाते हो
धड़कते हुए हमारे दिल को अपनी बातों से सहलाते हो..

दीवाना उसने कर दिया..

दीवाना उसने कर दिया एक बार देख कर

हम कर सके न कुछ भी लगातार देख कर..

पतली कमर..

ऐ खुदा तु ने इन हसीनाओं की कमर इतनी पतली क्यों बनाई है,
मिट्टी की कमी थी या कोई रिश्वत खाई है.?

 खुदा जवाब देता है:

ना मिट्टी की कमी थी ना कोई रिश्वत खाई है,
कमर से थोड़ी मिट्टी उठकर छाती पे लगाई है..



पर मैं बढ़ता गया..

डर मुझे भी लगा फासला देख कर
पर मैं बढ़ता गया रास्ता देख कर

खुद ब खुद मेरे नज़दीक आती गई
मेरी मंज़िल मेरा हौसला देख कार..

हमने अपना लिया हर रंग..

अब ख़ुशी है ना कोई गम रुलाने वाला
हमने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला

उसको रुखसत तो किया था मुझको मालूम ना था
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला

इक मुसाफिर के सफर जैसी है सब की दुनिया
कोई जल्दी में कोई देर से जाने वाला

एक बेचेहरा सी उम्मीद है हर चेहरा-चेहरा
जिस तरफ देखिये आने को है आने वाला..

मेरे दिल में तस्वीर है तेरी..

मेरे दिल में तस्वीर है तेरी
निगाहों में तेरा ही चेहरा है

नशा आँखों में मोहब्बत का
वफ़ा का रंग कितना गहरा है

दिल की कश्ती कैसे निकले
अब चाहत के भँवर से

समंदर इतना गहरा है
किनारों पर भी पहरा है..

पहिलं वाहिलं प्रेम असतं..

आयुष्यात न विसरणारी गोष्ट म्हणजे
पहिलं वाहिलं प्रेम असतं
हिवाळ्यातल्या गवतावर चमकणारं
मोत्यासारख दव असतं
आपल्या पहिल्या प्रेमाला
कशाचीच उपमा देता येत नाही
जरी आपण दुसरे प्रेम केले
तरी त्याला पहिल्या प्रेमाची सर कधी येत नाही
दोघांचंही पाहिलं प्रेम आहे
असं एखादंच उदाहरण बघायला मिळतं
नाही तर हल्ली दोघातल एक
दुसरीकडून भरकटून आलेलं असतं
काही झाले तरी पहिल्या प्रेमाची मजाच असते एक वेगळी
आयुष्यभर पुरेल एवढी असते ती शिदोरी..

Tuesday 3 May 2016

तुझे देखने के बाद..

कैसे सुकून पाऊँ तुझे देखने के बाद
अब क्या ग़ज़ल सुनाऊँ तुझे देखने के बाद

आवाज़ दे रही है मेरी ज़िन्दगी मुझे
जाऊँ मैं या न जाऊँ तुझे देखने के बाद

काबे का एहतराम भी मेरी नज़र में है
सर किस तरफ झुकाऊँ तुझे देखने के बाद

तेरी निगाह-ए-मस्त ने मख्मूर कर दिया
क्या मयक़दे को जाऊँ तुझे देखने के बाद..

त्या क्षणी..

ज्या वेळी तूअलगद,
तू माझा हात धरलास

खरच संग त्या क्षणी
तू स्वत: जवळ कितीसा उरलास..

प्रेमाचा गोडवा..

हळू हळू हवेतला गारवा
वाहतोय नव्या जोमाने
अन त्याच्या प्रेमाचा गोडवा सुद्धा
बहरतोय पुन्हा नव्याने..

भास..

कधी मिळते दु:ख
कधी सुखांची रास रे
तू नेहमीच जवळ असल्याचा
नुकताच भास रे..

तू नसताना....

तू नसताना....
तुझ्यासोबत बोलणे
कल्पनेच्या आरश्यात तुलाच बघणे
आठवांच्या झुल्यात झुलणे
कधी शादाविन बोलणे
असं झालंय तू नसताना..

ये कैसी मोहब्बत कहाँ के फ़साने

ये कैसी मोहब्बत कहाँ के फ़साने
ये पीने-पिलाने के सब हैं बहाने

वो दामन हो उन का के सुनसान सेहरा
बस हमको तो आखिर है आंसू बहाने

ये किसने मुझे मस्त नज़रों से देखा
लगे खुद-ब-खुद ही क़दम लड़खड़ाने

चलो तुम भी गुमनाम अब मयक़दे में
तुम्हें दफ्न कराने हैं कई गम पुराने।।

कब उनके लबों से..

कब उनके लबों से इज़हार होगा
दिल के किसी कोने में हमारे लिए भी प्यार होगा

गुज़ार रहे हैं अब तो ए रातें बस इसी सोंच में
के शायद उनको भी हमारा इंतज़ार होगा।।

Monday 2 May 2016

लगा कर फूल होंठों से..

लगा कर फूल होंठों से कहा उसने ये चुपके से

अगर कोई पास न होता तो तुम इसकी जगह होते।।

ईश्क़ का दस्तूर ही ऐसा है..

ईश्क़ का दस्तूर ही ऐसा है

जो उसको जान लेता है
ये उसकी जान लेता है..

एक शख्स है..

हज़ारों ऐब हैं मुझ में मुझे मालूम है मगर

एक शख्स है नादान मुझे अनमोल कहता है..

कोई तो पार उतरे..

बहती हुई ये नदियां, घुलते हुए किनारे
कोई तो पार उतरे, कोई तो पार गुज़रे

तु ने भी हमको देखा, हमने भी तुझको देखा
तु दिल ही हार गुज़रा, हम जान हार गुज़रे।।

दोस्त का हाथ..

काँटों में रहकर भी हम ज़िन्दगी जी लेते हैं
हर ज़ख्म को अपने हाथों से सी लेते हैं

जिस हाथ को कह दिया दोस्त का हाथ
हम उस हाथ से ज़हर भी पी लेते हैं.!

ज़ाहिरी जीत पर है खुश..

ज़ाहिरी जीत पर है खुश
तु ने ग़ैब की मार कहाँ देखी है

तेल के सिर्फ कुएँ देखे हैं
तेल की धार कहाँ देखी है.?

Marketing Company ka call..

Marketing Company ka call..-

Hi I am Mohit from Kolkata
Me:to main kya karun?
Hi I am Sunil from Pune
Me:to main kya karun?
Hii I am Riya from Delhi
Me:Hiiiiii Riayaaa.....

विजय माल्या..

हिंदी टीचर: विजय माल्या का सन्धि विछेद करो।

बालक: विजय+माल+ले+गया।
           बन गया विजय माल्या

हिंदी टीचर:शाबाश।।

तेरी सूरत को..

तेरी सूरत को देखने वाले

सुना है! कोई और नशा नहीं करते।।

कळतात मला आता..

कळतात मला आता
तुझे सारे बहाणे

घाबरून तुझे हळूच
मिठीत माझ्या येणे..

ओढ म्हणजे काय ते..

ओढ म्हणजे काय ते
जीव लावल्याशिवाय समजत नाही

विरह म्हणजे काय ते
प्रेमात पडल्याशिवाय समाजत नाही

प्रेम म्हणजे काय ते
स्वत: केल्याशिवाय समजत नाही.

माझा मी उरत नाही..

जगाचं भान राहत नाही आता,
तुझ्या विचारात गुंतताना

माझा मी उरत नाही,
तुझ्या आठवणींत हरवून जाताना...

न जाने वो नींद के नशे में..

न जाने वो नींद के नशे में इतना कैसे डूब जाती है

हम तो करवट भी बदलते हैं तो उसकी याद आती है..

तेरी सूरत से है..

तेरी सूरत से है आलम में बहारों को शबाब

तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है.?

मोहब्बत का बंधन..

यह मोहब्बत का बंधन भी कितना अजीब होता है

मिल जाएँ तो बातें लम्बी, बिछड़ जाएँ तो यादें लम्बी।।

मैं हर किसी के लिए..

मैं हर किसी के लिए खुद को अच्छा साबित नहीं कर सकता

मैं उनके लिए अनमोल हूँ जो मुझे समझते हैं..

मुझे क्या पता..

मुझे क्या पता तुमसे हसीन कोई है या नहीं

तुम्हारे सिवा कभी किसी को गौर से देखा ही नहीं।।

दौलत कमाना..

हमें ज़मीर बेचना आया ही नहीं,

वरना

दौलत कमाना इतना भी मुश्किल नहीं था..

वो जो अपना था बहुत..

बेवफा था तो नहीं वो, मगर ऐसा भी हुआ

वो जो अपना था बहुत और किसी का भी हुआ..

सफल आदमी के पीछे..

वाइफ: हर सफल आदमी के पीछे एक औरत होती है, तुम्हारे पीछे मैं हूँ

हसबैंड: जब एक औरत से इतनी सफलता है तो क्यों न दो तीन और रख लूँ.

वो दिन जो गुज़रे..

वो दिन जो गुज़रे तुम्हारे  साथ

काश.! ज़िन्दगी उतनी ही होती।।

लोग भूल रहे हैं..

लोग भूल रहे हैं, ये वहीं हैं बेटियाँ

जिससे चलती है घर की रोटियाँ।।

जान लेने पे तुले हैं..

जान लेने पे तुले हैं, दोनों मेरी

ईश्क़ हार नहीं मानता, दिल बात नहीं मानता।।

हसींन आँखों को..

हसींन आँखों को पढ़ने का अभी तक शौक़ है मुझे

मोहब्बत में उजड़ कर भी मेरी आदत नहीं बदली।।

मुझे समझाया न करो..

मुझे समझाया न करो के अब तो हो चुकी मुझको

मोहब्बत मशवरा होती तो तुमसे पूछ कर करते।।

कधी हात हातात..

कधी हात हातात
कधी हात पाठीवर
स्पर्शाने तुझ्या
अंग मोहरते माझे,

कधी कानी कुजबुज
कधी स्वैर गप्पा
शब्दांनी तुझ्या
मन बहरते माझे,

हलकेच हसून रोखून बघणे
कधी रुसून नजर फिरवणे
डोळ्यात तुझ्या
हृदय हरवते माझे,

कालचे दु:ख नाही
उद्याची चिंता नाही
तुझ्या सुगंधी सहवासाने
आयुष्य दरवळते माझे..

Sunday 1 May 2016

कर सकेगा न कोई मेरी तरह प्यार तुझे..

कह रही है मेरे जज़्बात की झंकार तुझे
कर सकेगा न कोई मेरी तरह प्यार तुझे

रक़्स करती है तेरे खून में मेरी खुशबू
क्या लुभाएंगी किसी फूल की महकार तुझे

वो बदन इक ही मर-मर से तराशे जिस ने
मैंने पाया उसी फनकार का शाहकार तुझे

शायद अब छुप न सके राज़-ए -मोहब्बत मेरा
मैंने चुप रह के सदा दी है कई बार तुझे।।


जाने कुछ क्यों कमी सी है..

जाने कुछ क्यों कमी सी है

तुम भी हो, मैं भी हूँ, फिर हम क्यों नहीं।।

जादू है तेरी हर एक बात में..

जादू है तेरी हर एक बात में
याद बहुत आते हो दिन और रात में

कल जब मैंने देखा था सपना रात में
तब भी आपका ही हाथ था मेरे हाथ में..