कैसे सुकून पाऊँ तुझे देखने के बाद
अब क्या ग़ज़ल सुनाऊँ तुझे देखने के बाद
आवाज़ दे रही है मेरी ज़िन्दगी मुझे
जाऊँ मैं या न जाऊँ तुझे देखने के बाद
काबे का एहतराम भी मेरी नज़र में है
सर किस तरफ झुकाऊँ तुझे देखने के बाद
तेरी निगाह-ए-मस्त ने मख्मूर कर दिया
क्या मयक़दे को जाऊँ तुझे देखने के बाद..
अब क्या ग़ज़ल सुनाऊँ तुझे देखने के बाद
आवाज़ दे रही है मेरी ज़िन्दगी मुझे
जाऊँ मैं या न जाऊँ तुझे देखने के बाद
काबे का एहतराम भी मेरी नज़र में है
सर किस तरफ झुकाऊँ तुझे देखने के बाद
तेरी निगाह-ए-मस्त ने मख्मूर कर दिया
क्या मयक़दे को जाऊँ तुझे देखने के बाद..
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