Wednesday 25 May 2016

खैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती..

दिल में न हो जुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती
खैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती

कुछ लोग यूँ ही शहर में हमसे भी खफा हैं
हर एक से अपनी भी तबियत नहीं मिलती

देखा था जिसे मैंने कोई और था शायद
वो कौन है जिस से तेरी सूरत नहीं मिलती

हँसते हुए चेहरों से है बाज़ार की ज़ीनत
रोने को यहाँ वैसे भी फुरसत नहीं मिलती..

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