कह रही है मेरे जज़्बात की झंकार तुझे
कर सकेगा न कोई मेरी तरह प्यार तुझे
रक़्स करती है तेरे खून में मेरी खुशबू
क्या लुभाएंगी किसी फूल की महकार तुझे
वो बदन इक ही मर-मर से तराशे जिस ने
मैंने पाया उसी फनकार का शाहकार तुझे
शायद अब छुप न सके राज़-ए -मोहब्बत मेरा
मैंने चुप रह के सदा दी है कई बार तुझे।।
कर सकेगा न कोई मेरी तरह प्यार तुझे
रक़्स करती है तेरे खून में मेरी खुशबू
क्या लुभाएंगी किसी फूल की महकार तुझे
वो बदन इक ही मर-मर से तराशे जिस ने
मैंने पाया उसी फनकार का शाहकार तुझे
शायद अब छुप न सके राज़-ए -मोहब्बत मेरा
मैंने चुप रह के सदा दी है कई बार तुझे।।
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