Sunday 24 April 2016

सब भूल चूका हूँ..

दुनिया से मुझे प्यार था सब भूल चूका हूँ
इक शख्स मेरा यार था सब भूल चूका हूँ

बख्शी है मुझे प्यार के बदले में जुदाई
जो भी तेरा क़िरदार था सब भूल चूका हूँ

बस इतना मुझे याद है इक वस्ल की शब थी
इक़रार था, इनकार था सब भूल चूका हूँ

हाँ मेरी ख़ता थी के तुझे टूट के चाहा
हाँ मैं ही गुनहगार था सब भूल चूका हूँ

इक शख्स ने पागल सा बना रखा था मोहसिन
मैं कितना समझदार था सब भूल चूका हूँ..


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