Sunday 24 April 2016

मुझे घायल कर दो..

अपने एहसास से छू कर मुझे संदल कर दो
मैं कई सदियों से अधूरा हूँ मुकम्मल आकर दो

न तुम्हें होश रहे और न मुझे होश रहे
इस क़दर टूट के चाहो के मुझे पागल कर दो

तुम हथेली को मेरे प्यार की मेहंदी से रंगो
अपनी आँखों में मेरे नाम का काजल कर दो

धूप ही धूप हूँ मैं टूट के बरसो मुझ पर
मैं तो सेहरा हूँ मुझे प्यार का बादल कर दो

इस के साये में मेरे ख्वाब महक उठेंगे
मेरे चेहरे पे उम्मीदों भरा आँचल कर दो

अपने होंठों से कोई मोहर लगाओ मुझ पर
इक नज़र प्यार से देखो मुझे घायल कर दो..

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