राह न देखेंगे ये दुनिया से गुजरने वाले
हम तो बस चाहते हैं ठहर जाएँ ठहरने वाले
इक तो हुस्न बला का और उसपे बनावट आफत
घर तो बिगाड़ेंगे हज़ारों के सँवरने वाले।।
हम तो बस चाहते हैं ठहर जाएँ ठहरने वाले
इक तो हुस्न बला का और उसपे बनावट आफत
घर तो बिगाड़ेंगे हज़ारों के सँवरने वाले।।
No comments:
Post a Comment