रात में कौन वहां जाये जहाँ आग लगी,
सुबह अख़बार में पढ़ लेंगे कहाँ आग लगी;
आग से आग बुझाने का अमल जारी था,
हम भी पानी लिए बैठे थे जहाँ आग लगी;
वो भी अब आग बुझाने को चले आएं हैं,
जिनको ये भी नहीं मालूम कहाँ आग लगी;
किसको फुरसत थी जो देता किसी आवाज़ पे ध्यान,
चीखता फिरता था आवारा धुंआ आग लगी;
सुबह तक सारे निशानात मिटा डालेंगे,
कोई पूछेगा तो कह देंगे कहाँ आग लगी।
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