आता है याद मुझको गुज़रा हुआ ज़माना
वो बाग़ की बहारें, वो सब का चह-चहाना
आज़ादियाँ कहाँ वो, अब अपने घोंसले की
अपनी ख़ुशी से आना अपनी ख़ुशी से जाना
लगती हो चोंट दिल पर, आता है याद जिस दम
शबनम के आंसुओं पर कलियों का मुस्कुराना
वो प्यारी-प्यारी सूरत, वो कामिनी-सी मूरत
आबाद जिस के दम से था मेरा आशियाना।।
वो बाग़ की बहारें, वो सब का चह-चहाना
आज़ादियाँ कहाँ वो, अब अपने घोंसले की
अपनी ख़ुशी से आना अपनी ख़ुशी से जाना
लगती हो चोंट दिल पर, आता है याद जिस दम
शबनम के आंसुओं पर कलियों का मुस्कुराना
वो प्यारी-प्यारी सूरत, वो कामिनी-सी मूरत
आबाद जिस के दम से था मेरा आशियाना।।
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