Friday 22 April 2016

वक़्त नाज़ुक है..

जाम टकराओ! वक़्त नाज़ुक है
रंग छलकाओ! वक़्त नाज़ुक है

हसरतों की हसीन कब्रों पर
फूल बरसाओ! वक़्त नाज़ुक है

इक फ़रेब और ज़िन्दगी के लिए
हाथ फैलाओ! वक़्त नाज़ुक है

रंग उड़ने लगा है फूलों का
अब तो आ जाओ! वक़्त नाज़ुक है

तिश्नगी तिश्नगी! अरे तौबा
ज़ुल्फ़ लहराओ! वक़्त नाज़ुक है..

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