जब भी बारिश होती है और मेरी ऑंखें देखती हैं
बारिश में धुलती चीज़ों को तो मेरा दिल तड़प कर सोंचता है
ऐ खुदा !
काश कोई ऐसी बारिश हो जिसमें धूल जाएँ दिलों के मैल
और हर चेहरा फिर से निखरा-निखरा हो जाये।।
बारिश में धुलती चीज़ों को तो मेरा दिल तड़प कर सोंचता है
ऐ खुदा !
काश कोई ऐसी बारिश हो जिसमें धूल जाएँ दिलों के मैल
और हर चेहरा फिर से निखरा-निखरा हो जाये।।
No comments:
Post a Comment