Sunday 26 June 2016

आँख से दूर न हो..

आँख से दूर न हो दिल से उतर जायेगा
वक़्त का क्या है गुजरता है गुजर जायेगा

इतना मायूस न हो खल्वत-ए-गम से अपनी
तू कभी खुद को भी देखेगा तो डर जायेगा

डूबते-डूबते कश्ती को उछाला दे दूँ
मैं नहीं कोई तो साहिल पे उतर जायेगा

जिंदगी तेरी अता है तो ये जाने वाला
तेरी बख्शीश तेरी दहलीज़ पे धर जायेगा

ज़ब्त लाज़िम है मगर दुःख है क़यामत का 'फ़राज़'
ज़ालिम अब के भी न रोयेगा तो मर जायेगा।।

मोहब्बत..

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