तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे,
मैं इक शाम चूरा लूँ अगर बुरा न लगे,
तुम्हारे बस में अगर हो तो भूल जाओ हमें,
तुम्हें भूलाने में शायद मुझे ज़माना लगे,
हमारे प्यार से जलने लगी है इक दुनिया,
दुआ करो किसी दुश्मन की बद्दुआ न लगे
ना जाने क्या है उसकी बेबाक आँखों में
वो मुंह छुपा के जाये भी तो बेवफा न लगे
जो डूबना है तो इतने सकून से डुबो
के आस-पास की लहरों को भी पता न लगे
हो जिस अदा से मेरे साथ बेवफाई कर
के तेरे बाद मुझे कोई बेवफा न लगे
वो फूल जो मेरे दामन से हो गया मंसूब
खुदा करे उसे बाज़ार की हवा न लगे
तुम आँख मूंद के पी जाओ ज़िन्दगी कैसर
के इक घूँट में शायद ये बद-मज़ा न लगे..
आँखों में समां जाओ, इस दिल में रहा करना..
मैं इक शाम चूरा लूँ अगर बुरा न लगे,
तुम्हारे बस में अगर हो तो भूल जाओ हमें,
तुम्हें भूलाने में शायद मुझे ज़माना लगे,
हमारे प्यार से जलने लगी है इक दुनिया,
दुआ करो किसी दुश्मन की बद्दुआ न लगे
ना जाने क्या है उसकी बेबाक आँखों में
वो मुंह छुपा के जाये भी तो बेवफा न लगे
जो डूबना है तो इतने सकून से डुबो
के आस-पास की लहरों को भी पता न लगे
हो जिस अदा से मेरे साथ बेवफाई कर
के तेरे बाद मुझे कोई बेवफा न लगे
वो फूल जो मेरे दामन से हो गया मंसूब
खुदा करे उसे बाज़ार की हवा न लगे
तुम आँख मूंद के पी जाओ ज़िन्दगी कैसर
के इक घूँट में शायद ये बद-मज़ा न लगे..
आँखों में समां जाओ, इस दिल में रहा करना..
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