Friday 15 July 2016

तुम्हारे बस में अगर हो तो..

तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे,
मैं इक शाम चूरा लूँ अगर बुरा न लगे,
तुम्हारे बस में अगर हो तो भूल जाओ हमें,
तुम्हें भूलाने में शायद मुझे ज़माना लगे,

हमारे प्यार से जलने लगी है इक दुनिया,
दुआ करो किसी दुश्मन की बद्दुआ न लगे
ना जाने क्या है उसकी बेबाक आँखों में
वो मुंह छुपा के जाये भी तो बेवफा न लगे

जो डूबना है तो इतने सकून से डुबो
के आस-पास की लहरों को भी पता न लगे
हो जिस अदा से मेरे साथ बेवफाई कर
के तेरे बाद मुझे कोई बेवफा न लगे

वो फूल जो मेरे दामन से हो गया मंसूब
खुदा करे उसे बाज़ार की हवा न लगे
तुम आँख मूंद के पी जाओ ज़िन्दगी कैसर
के इक घूँट में शायद ये बद-मज़ा न लगे..

आँखों में समां जाओ, इस दिल में रहा करना..

No comments:

Post a Comment