तेरी जुल्फों के बिखरने का सबब है कोई
आँख कहती है तेरे दिल तलब है कोई
आँच आती है तेरे जिस्म की उर्यानी से
पैरहन है कि सुलगती हुई शब है कोई
होश उड़ने लगीं फिर चाँद की ठंडी किरणें
तेरी बस्ती में हूँ या ख्वाब-ए-तरब है कोई
गीत बुनती है तेरे शहर की भरपूर हवा
अजनबी मैं ही नहीं तु भी अजब है कोई
लिए जाती है किसी ध्यान की लहरे मोहसिन
दूर तक सिलसिला-ए-ततक-ए-तरब है कोई..
आँख कहती है तेरे दिल तलब है कोई
आँच आती है तेरे जिस्म की उर्यानी से
पैरहन है कि सुलगती हुई शब है कोई
होश उड़ने लगीं फिर चाँद की ठंडी किरणें
तेरी बस्ती में हूँ या ख्वाब-ए-तरब है कोई
गीत बुनती है तेरे शहर की भरपूर हवा
अजनबी मैं ही नहीं तु भी अजब है कोई
लिए जाती है किसी ध्यान की लहरे मोहसिन
दूर तक सिलसिला-ए-ततक-ए-तरब है कोई..
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