अपनी धून में रहता हूँ
मैं भी तेरे जैसा हूँ
ओ पिछली रुत के साथी
अब के बरस मैं तन्हा हूँ
तेरी गली में सारा दिन
दुःख के कंकर चुनता हूँ
मुझ से आँख मिलाये कौन
मैं तेरा आइना हूँ
मेरा दिया जलाए कौन
मैं तेरा ख़ाली कमरा हूँ
तेरे सिवा मुझे पहने कौन
मैं तेरे तन का कपडा हूँ
तु जीवन की भरी गली
मैं जंगल का रास्ता हूँ
आती रुत मुझे रोएगी
जाती रुत का झोंका हूँ
अपनी लहर है अपना रोग
दरिया हूँ और प्यासा हूँ..
मैं भी तेरे जैसा हूँ
ओ पिछली रुत के साथी
अब के बरस मैं तन्हा हूँ
तेरी गली में सारा दिन
दुःख के कंकर चुनता हूँ
मुझ से आँख मिलाये कौन
मैं तेरा आइना हूँ
मेरा दिया जलाए कौन
मैं तेरा ख़ाली कमरा हूँ
तेरे सिवा मुझे पहने कौन
मैं तेरे तन का कपडा हूँ
तु जीवन की भरी गली
मैं जंगल का रास्ता हूँ
आती रुत मुझे रोएगी
जाती रुत का झोंका हूँ
अपनी लहर है अपना रोग
दरिया हूँ और प्यासा हूँ..
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